नवरात्र (Navratra 2019) में दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है. मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है. अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है.
मां कालरात्रि (Maa Kalratri) दुष्टों का विनाश करने वाली हैं. दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं. इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते. इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है. मां कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए. यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए. मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए.
मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा सुबह 4 से 6 बजे तक करनी चाहिए. मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए. मकर और कुंभ राशि के जातकों को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए. परेशानी में हों तो 7 या 9 नींबू की माला देवी को चढ़ाएं. सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योत जलाएं. सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए. यथासंभव, इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.