आज शारदीय नवरात्र का आठवां दिन है लेकिन इस साल 24 अक्टूबर को ही नवमी भी मनाया जा रहा है. महाअष्टमी और नवनी पर उपवास करने का और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नवरात्र अष्टमी की तिथि शुरुआत 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से शनिवार 24 अक्टूबर को 6 बजकर 58 मिनट तक ही रहेगी. इसके बाद नवमी तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो कि 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. वहीं दशमी तिथि 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट से आरंभ होकर 26 अक्टूबर की सुबह 9 बजे तक रहेगी.
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महाअष्टमी- मां गौरी
नवरात्रि का आठवां दिन यानी की महाअष्टमी मां गौरी को समर्पित है. देवी महागौरी की विधिवत् पूजा करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं अगर किसी की शादी होने में भी कोई रुकावट आ रही है, तो इस दिन उन लोगों को जरूर मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन मां की पूजा करते समय दुर्गासप्तशती के आठवें अध्याय का पाठ करने से मां प्रसन्न होती हैं.
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है. इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है. अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं. इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं. महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं.
अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान भी है. वैसे कई लोग नवमी को भी कन्या पूजन करते हैं. दरअसल मार्केंडय पुराण के अनुसार सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौ दुर्गा, व्यस्थापाक रूपी नौ ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली नौ प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं. आमतौर पर कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है. सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर पूजा जाता है.
मां महागौरी को शिवा भी कहा जाता है. इनके एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का डमरू है. अपने सांसरिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत रंग और श्वेत वस्त्रों में चतुर्भुजा हैं. ऐसी मान्यता है कि महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर महिला की शक्ति को दर्शाता है.महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं. इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत होते हैं. महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप नष्ट हो जाते हैं.
मां गौरी को लगाएं ये भोग
दुर्गा मां के आंठवे स्वरूप देवी महागौरी को साबूदाना अर्पित किया जाता है. ये अन्न-धन को देने वाली हैं. वैसे इन्हें नारियल भी पसंद है. संतान सुख की प्राप्ति के लिए इन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है. मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है. आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है.
महानवमी- मां सिद्धिदात्रि-
नवरात्र के नौंवे दिन यानि की महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. कमल के आसन पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। मां की स्तुति से हमारी अंतर्रात्मा पवित्र होती है. यह हमें सत्कर्म करने की प्रेरणा देती है.
मां दुर्गा की नावों शक्तियों का नाम सिद्धिदात्री है. देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्ति स्वरूपा देवी की उपासना करके सभी शक्तियां प्राप्त की थीं. इसके प्रभाव से शिव का आधा शरीर स्त्री का हो गया था। शिवजी का यह स्वरूप अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
मां सिद्धिदात्रि की सच्चे दिल से अराधना करने से सभी सिद्धि की प्राप्ती होती है और बुद्धि बल का वरदान भी मिलता है. इसके साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
मां सिद्धिदात्रि की पूजन विधि
घी का दीपक जलाने के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा जो भी फल या भोजन मां को अर्पित करें वो लाल वस्त्र में लपेट कर दें. साथ ही नवमी पूजने वाले कंजकों और निर्धनों को भोजन कराने के बाद ही खुद खाएं.
मंत्र-
सिद्धगधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
कन्या पूजन विधि-
कन्याओं का पूजन करते समय पहले उनके पैर धो कर पंचोपचार विधि से पूजन करें और बाद में भोजन कराएं और प्रदक्षिणा करते हुए यथा शक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर विदा करें. इस तरह नवरात्रि पर्व पर कन्या का पूजन करके भक्त मां की कृपा पा सकते हैं. लेकिन इस कोरोना वायरस की वजह से कन्या भोज से बचे और अपने ही घर की किसी बच्ची को नौ देवी मानकर कन्या पूजन कर लें.
Source : News Nation Bureau