शारदीय नवरात्रि (Navratri 2020) 17 अक्टूबर 2020 से शुरू हो रही है. नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा होगी और रोजाना अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी. जानकारों का कहना है कि इस बार नवरात्रि में 58 साल बाद बेहद शुभ संयोग (Shubh sanyog) भी बनने जा रहा है. 58 साल बाद शनि (Shani) स्वराशि मकर और गुरु (Guru) स्वराशि धनु में रहेंगे. इस बार घट स्थापना पर भी खास संयोग बनने का दावा किया जा रहा है. इन महासंयोगों से (Mahasanyog) कई लोगों की झोली खुशियों से भर सकती है.
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दौरान जौ बोने के साथ-साथ अखंड ज्योति भी जलाई जाती है. इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Ghat sthapna shubh muhurt) शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 को सुबह 6:10 बजे है. किसी कारणवश यदि आप इस मुहूर्त पर घटस्थापना नहीं कर पाते तो सुबह 11:02 बजे से 11:49 बजे के बीच कर सकते हैं.
नवरात्रि की पूजा के लिए आपको एक और बात का ध्यान रखना है. पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में हो और इसी दिशा में घटस्थापना करें. कलश स्थापना के लिए चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और कुमकुम से एक स्वास्तिक बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें. अखंड दीप जलाएं और कलश स्थापना करें.
इस बार राजयोग, दिव्य पुष्कर योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग शारदीय नवरात्रि को खास बना रहे हैं. इस दौरान मां दुर्गा को लाल वस्त्र, फल और फूल अर्पित करने से काफी लाभ मिल सकता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी आपके लिए फलदायी हो सकता है और आपकी मनोकामनाएं पूरा करने में सहायक साबित हो सकता है.
Source : News Nation Bureau