Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत दिनांक 22 मार्च से हो रहा है और इसका समापन दिनांक 30 मार्च को होगा. नवरात्रि के हर एक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस दिन अगर आप इनके 9 मंत्रों का जाप करते हैं, तो सुख-समृद्धि, अच्छ स्वास्थ्य का वरदान मिलता है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में मां दुर्गा के 9 प्रभावशाली मंत्रों के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे आपके सभी बिगड़ काम बन जाएंगे.
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चैत्र नवरात्रि पर करें मां दुर्गा के 9 प्रभावशाली मंत्रों का जाप
1. संतान प्राप्ति के लिए चैत्र नवरात्रि के दिन व्रत रखें और इस दुर्गा मंत्र का जाप करें.
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
2. अगर आप हमेशा आर्थिक संकट में घिरे रहते हैं और दरिद्रता से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस मंत्र का जाप करें.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।
3. अगर आपको हमेशा शत्रु भय सता रहा है, तो उससे मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें.
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
4. उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें. इससे आपकी मनोकामना भी पूरी हो जाएगी.
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
5.अगर आप किसी असाध्य बीमारी से घिरे हैं, उसका उपचार नहीं हो पा रहा है, तो चैत्र नवरात्रि के दिन रोग मुक्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें.
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
6.घर-परिवार के कल्याण के लिए इस मंत्र का जाप करें.
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।
7.अगर आप शत्रु पर विजय पाना चाहते हैं और मां दुर्गा से शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस मंत्र का जाप करें.
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।।
8.संकट से मुक्ति पाना चाहते हैं और घर परिवार की शुभता चाहते हैं, तो इस मंत्र का जाप करें.
करोतु सा न: शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:।
9. मोक्ष प्राप्ति के लिए करें इस मंत्र का जाप
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी। त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तय:।।