Navratri 9th Day 2023 : आज नवरात्रि का नवमी है और आज का दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूरे विधि के पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को यश,बल और धन भी प्रदान करती हैं. शास्त्रों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री को मोक्ष की देवी कहा गया है. अगर इनके स्वरूप की बात की जाए, तो ये कमल पर विराजमान है. इनके चार हाथ हैं. चारों हाथों में शंख, गदा, चक्र और कमल का फूल धारण किया है. इन्हें मां सरस्वती का स्वरूप भी कहा जाता है. नवमी के दिन कन्या पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में नवमी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से बताएंगे.
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जानें क्या है नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से लेकर 05 बजकर 28 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से लेकर 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - सुबह 08 बजकर 18 मिनट से लेकर 10 बजकर 06 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - पूरे दिन रहेगा.
रवि योग - पूरे दिन रहेगा.
जानें क्या है पूजा विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं. मां को रोली लगाएं. पांच प्रकार के फल भोग लगाएं. अंत में आरती करें.
जानें क्या है पूजा मंत्र
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥ या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम॥
मां सिद्धिदात्री आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।