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Navratri First Day Puja: पहले नवरात्रि की पूजा कैसे करें, डेट और शुभ मुहूर्त भी नोट कर लें

Navratri First Day Puja: नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां के भक्त उनकी पूजा अर्चना करते हैं. कुछ लोग इन नौ दिनों का व्रत रखते हैं और इसके बाद दशहरा भी धूमधाम से मनाते हैं.

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Inna Khosla
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Navratri first day puja Vidhi

Navratri first day puja Vidhi

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Navratri First Day Puja: नवरात्रि माता दुर्गा की पूजा का नौ दिवसीय पर्व है. इस दिन भक्तजन विशेष रूप से माता रानी की आराधना करते हैं. पहले दिन को शैलपुत्री का दिन माना जाता है जो देवी दुर्गा का पहला स्वरूप है. पहला दिन बेहद खास होता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने के बाद देवी मां की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से जातक देवी मां को अपने घर में निमंत्रण देते हैं कि वो वहां आएं, उन्हें आशीर्वाद दें और उनकी हर मनोकामना पूरी करें. 

नवरात्रि 2024 कब से शुरू हो रहे हैं (First Navratri 2024 October)

इस साल अक्टूबर 03, 2024 को 12:18 ए एम बजे से नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो रही है जो अक्टूबर 04, 2024 को 02:58 ए एम बजे तक रहेगी. 

शरद नवरात्रि पूजा का समय (Navratri First Day Puja Time)

  • ब्रह्म मुहूर्त 04:38 ए एम से 05:27 ए एम    
  • प्रातः सन्ध्या 05:02 ए एम से 06:15 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त 11:46 ए एम से 12:33 पी एम    
  • विजय मुहूर्त 02:08 पी एम से 02:55 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त 06:04 पी एम से 06:29 पी एम    
  • सायाह्न सन्ध्या 06:04 पी एम से 07:18 पी एम
  • अमृत काल 08:45 ए एम से 10:33 ए एम    
  • निशिता मुहूर्त 11:46 पी एम से 12:34 ए एम, अक्टूबर 04

नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त 2024 (Shardiya Navratri 2024 Ghatasthapana Muhurat)

3 अक्टूबर को पहले शारदीय नवरात्रि के दिन कलश स्थापना सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट के बीच करें. इसके अलावा, आप अभिजीत मुहूर्त या ऊपर दिए दूसरे शुभ मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं. 

नवरात्रि के पहले दिन पूजा विधि (Navratri First Day Puja Vidhi)

नवरात्रि के पहले दिन की पूजा की तैयारी एक दिन पहले से ही शुरू होती है. घर को साफ-सुथरा किया जाता है और पूजा स्थान को निर्धारित किया जाता है. नवरात्रि पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे: माता दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति, दीपक, घी, फूल विशेष रूप से गुलाब, गेंदे और कमल के फूल. नैवेद्य फल, मिठाई और अन्य भोग. तिलक के लिए कुमकुम और चावल, धूप, नवदुनिया यानी नौ तरह के अनाज, जो इस दिन का विशेष महत्व रखते हैं. 

नवरात्रि के पहले दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और उसके बाद स्वच्छ और सुगंधित वस्त्र पहनें. अब पूजा स्थान को व्यवस्थित करें. एक चौकी पर एक साफ कपड़ा बिछाकर उस पर माता दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जाती है. इस समय चारों दिशाओं में जल से भरे कलश रखे जाते हैं जो समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक हैं. जो लोग जौ बोते हैं वो भी इस समय वो कार्य कर लें.

अब दीपक में घी या तेल भरकर, उसमें बत्ती लगाएं और दीप जलाते समय माता दुर्गा का ध्यान करते हुए मंत्र का जाप करें.

माता दुर्गा का मंत्र: "ॐ दुं दुर्गायै नमः"

इसके बाद, अपने मन में संकल्प लें कि आप इस नवरात्रि में माता रानी से क्या चाहते हैं. फिर फल, मिठाइयाँ और अन्य खाद्य पदार्थ माता दुर्गा के सामने रखकर उन्हें भोग लगाएं. नैवेद्य अर्पित करने से माता रानी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है. 

नैवेद्य अर्पित करने के बाद एक थाल में दीपक लेकर उसे माता दुर्गा के सामने घुमाते हुए आरती गाएं. आरती के बाद पूजा का प्रसाद सभी उपस्थित लोगों को बांट दें. यह प्रसाद माता रानी का आशीर्वाद होता है. सभी इसे खुशी-खुशी ग्रहण करते हैं और एक-दूसरे को नवरात्रि की शुभकामनाएं देते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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