आचार्य चाणक्य (acharya Chanakya) ने अपनी नीतियों में जीवन जीने के कई तरीके बताएं हैं. जिन पर अमल करके लोग अपना जीवन अच्छे से जी सकते हैं. क्योंकि आज हर इंसान चाहता है कि उसके जीवन पर दुखों का साया न पड़े. बस, उसका हर एक पल खुशियों से भरा हो. हकीकत में ये लोगों की सिर्फ कल्पना है क्योंकि सुख और दुख जीवन के एक सिक्के के दो पहलू की (Chanakya Niti) तरह हैं. अगर जीवन में सुख है तो दुख भी आएगा और दुख है तो सुख का आना भी निश्चित है.
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इसी सुखी जीवन को लेकर आचार्य चाणक्य ने कुछ नीतियां (chanakya Jeevan Mantra) और अनुमोल विचार व्यक्ति किए हैं. आचार्य चाणक्य के इसी विचारों में से एक विचार का विश्लेषण करेंगे. चाणक्य के अनुसार कुछ लोगों को लेकर जीवन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि ये लोग हमारे जीवन को दुखों से भर देते हैं. इन लोगों का साथ अच्छे-खासे जीवन को जहन्नुम बना देता है. ऐसे में इन लोगों से समय (chanakya niti life lessons) रहते दूरी बना लेना ही बेहतर होता है.
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दुखी-रोगी लोगों के बीच रहने वाला इंसान
जो लोग हर वक्त दुखी और बीमार लोगों के साथ रहते हैं. वे विद्वान और सुखी होने के बाद भी कुछ ही समय में निराशा का शिकार हो जाता है. इसी के चलते उनका जीवन भी दुख में बीतने लगता है.
दुष्ट पत्नी
जिस तरह अच्छी, चरित्रवान, शिक्षित महिला का साथ पुरुष के जीवन को सफलता और सुखों से भर देता है. उसी तरह दुष्ट पत्नी की साथ जीवन को दुखों से भर देता है. चाणक्य की नीति कहती है कि पत्नी योग्य और पति की सफलता में योगदान करने वाली होनी चाहिए. जिस इंसान की पत्नी योग्य और कुशल होती है. उसे धरती पर ही स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है. वहीं जब पत्नी धोखा करे, अपनी जिम्मेदारियों को अनदेखा करें और गलत आचरण करे तो ऐसी पत्नी से सावधान रहना चाहिए. चाणक्य के अनुसार इस आचरण की पत्नी, मृत्युतुल्य कष्ट (evil wife) प्रदान करती है.
धोखेबाज सेवक
चाणक्य नीति कहती है कि सेवक को वफादार होना चाहिए. जो सेवक अपने मालिक को हमेशा धोखा देने के लिए तैयार रहता है. साथ ही मालिक की दरियादिली का गलत फायदा उठाए. ऐसे सेवक से सावधान रहना चाहिए. ऐसा सेवक कभी भी मुश्किल (deceitful servant) में डाल सकता है.
मूर्ख शिष्य
गुरु कितना भी योग्य हो, उसकी दूर-दूर तक कितनी भी कीर्ति क्यों न हो. अगर उसका कोई भी शिष्य मूर्ख हो तो गुरु का जीवन दुखी होने में देर नहीं लगती है. मूर्ख शिष्य न केवल गुरु को लज्जित कराता है. बल्कि अपनी मूर्खता से गुरु के जीवन में कई अड़चनें (fellow student) भी डालता है.