श्रीनगर में एक मंदिर, एक गुरुद्वारा, एक इमामबाड़ा, एक चर्च और दो मुस्लिम दरगाहों के नवीनीकरण के लिए सरकार के 'स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट' के हिस्से के रूप में जीर्णोद्धार का काम फरवरी के अंत तक पूरा हो जाएगा. अधिकारियों ने ये जानकारी दी. भगवान राम को समर्पित मंदिर का निर्माण 1835 में महाराजा गुलाब सिंह द्वारा श्रीनगर में झेलम नदी के तट पर किया गया था. इसके जीर्णोद्धार का काम पिछले साल शुरू किया गया.
1990 के दशक के प्रारंभ में उग्रवाद शुरू होने के बाद, कश्मीरी पंडितों का सामूहिक पलायन हुआ जो अपनी जिंदगी बचाने के लिए वहां से भागे. इस दौरान उन्हें अपना घर बार, व्यवसाय और पूजा स्थलों को छोड़ना पड़ा. ये सभी लोग कश्मीर से बाहर बस गए. बाहर जाने के बाद, अधिकांश पंडित जम्मू में तंग शिविरों में रहने लगे. सरकारों ने उनके लिए बेहतर आवास और सुविधाओं का वादा तो किया लेकिन कार्यान्वयन की प्रगति धीमी रही.
एक पर्यटन अधिकारी ने कहा, अगले महीने के अंत तक, श्रीनगर में रघुनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मंदिर की छत में कुछ काम बाकी है जिसके लिए कांस्य से बनी सामग्री कश्मीर के बाहर से मंगवाई गई है. उन्होंने कहा, धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार की कई नई परियोजनाओं को तीर्थयात्रा पर्यटन कार्यक्रम के तहत लिया जा रहा है.
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) द्वारा 2009 में एक सर्वेक्षण के अनुसार, कश्मीर में कुल 1,842 हिंदू पूजा स्थल हैं जिनमें मंदिर, पवित्र झरने, पवित्र गुफाएं और पवित्र वृक्ष शामिल हैं. 952 मंदिरों में से 212 अभी भी ठीक हैं, जबकि 740 जर्जर हालत में हैं. 1990 के शुरूआती दिनों में पंडितों के कश्मीर छोड़ने के बाद सिर्फ 65 मंदिर खुले रहे.
1997-1998 में, 35 मंदिरों को ज्यादातर कश्मीरी मुसलमानों की मदद से गांवों में पुनर्जीवित किया गया. 2003 से अब तक, 72 और मंदिरों को पर्यटन विभाग ने मंदिरों की प्रबंध समितियों के सहयोग से पुनर्जीवित किया है.
केपीएसएस के अध्यक्ष संजय टिकू, जिन्होंने कश्मीर नहीं छोड़ी और 808 पंडित परिवारों की अगुवाई करते हैं, ने कहा कि कश्मीर के ज्यादातर मंदिरों विशेषकर झेलम नदी के किनारे बसे मंदिरों को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. टिकू ने कहा कि कश्मीर में मंदिरों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयोग पिछले दिनों किए गए थे, लेकिन मंदिरों में श्रद्धालुओं का नहीं आना एक चिंता का विषय बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि अगर कोई मंदिर खोला जाता है, तो यह महत्वपूर्ण है कि श्रद्धालु इसे देखें अन्यथा पूरी तरह से व्यर्थ है. मंदिर के पड़ोस में रहने वाले मुसलमान इसके जीर्णोद्धार का स्वागत कर रहे हैं. श्रीनगर के बारबरशाह के निवासी ने कहा, यह अच्छी बात है कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, हम कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में वापसी के लिए उत्सुक हैं.
Source : IANS