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Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है, इस दिन का क्यों है इतना महत्व?

Nirjala Ekadashi Kyu Manayi Jati Hai: क्या आप जानते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है. साथ ही जानिए इस व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में.

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Sushma Pandey
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Nirjala Ekadashi Kyu Manayi Jati Hai

Nirjala Ekadashi Kyu Manayi Jati Hai( Photo Credit : NEWS NATION)

Nirjala Ekadashi Kyu Manayi Jati Hai: निर्जला एकादशी हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. निर्जला एकादशी का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस व्रत में जल ग्रहण करना वर्जित माना जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. साथ ही इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना जाता है. इस व्रत को रखने से कठिन व्रतों का फल प्राप्त होता है. इस दिन किए गए दान, स्नान और पूजा का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से जातकों के जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है. साथ ही जानिए इस व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में. 

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निर्जला एकादशी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त और डेट (Nirjala Ekadashi 2024 Shubh Muhurat & Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, जेठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जून 2024 को सुबह 4 बजकर 45 मिनट से और इस तिथि का समापन 18 जून को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर होगा. ऐस में साल 2024 में निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को रखा जाएगा. 

निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi Importance)

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही ग्रहों की शांति होती है और कुंडली में मौजूद ग्रहों के दोष दूर होते हैं.  इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना पुण्य का काम माना जाता है. माना जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी पाप धूल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है?  (Nirjala Ekadashi Kyu Manayi Jati Hai)

पौराणिक कथा के अनुसार,  भीष्म पितामह ने जीवन भर निर्जला एकादशी का व्रत रखा था.  इस व्रत के प्रभाव से ही वे 100 वर्षों तक जीवित रहे. वहीं कर्ण ने भी अपने जीवन में निर्जला एकादशी का व्रत रखा था. इस व्रत के पुण्य से उन्हें दानवीर के नाम से जाना जाता है. यह भी कहा जाता है कि इस व्रत को पांडवों ने भी रखा था. लेकिन भीमसेन पूरे दिन निर्जला नहीं रह पाते थे क्योंकि उन्हें सबसे अधिक भूख लगती थी. हालांकि भीमसेन ने भी एक बार इस व्रत को किया था. इसलिए निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी और कर्ण एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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