अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये देश पाकिस्तान है तो आप गलत है. हम बात कर रहे हैं एक ऐसे देश की जहां का इतिहास बेहद समृद्ध है. इस द्वीप समूह में सबसे पहले बसने वाले लोग द्रविड़ियन और आर्यन मूल के थे, जो भारत और श्रीलंका से आए थे. ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में, बौद्ध धर्म यहां फैल गया और लगभग 12वीं शताब्दी तक प्रमुख धर्म बना रहा. इसके बाद 1153 ईस्वी में, इस देश के राजा धर्मसत्ता ने इस्लाम धर्म अपना लिया और यह धर्म जल्दी ही पूरे देश में फैल गया. हम बात कर रहे हैं मालदीव की. इस घटना को मालदीव की इस्लामीकरण के रूप में जाना जाता है. इस्लाम के आगमन के बाद, मालदीव में सुल्तानों का शासन शुरू हुआ. सुल्तान वंश ने लंबे समय तक मालदीव पर शासन किया. 16वीं शताब्दी में, पुर्तगालियों ने मालदीव पर आक्रमण किया और कुछ समय के लिए शासन किया. पुर्तगालियों के बाद, डच और फिर ब्रिटिश प्रभाव मालदीव पर रहा. ब्रिटिश शासन ने मालदीव को एक प्रोटेक्टोरेट के रूप में नियंत्रित किया, जिसमें मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया गया.
मालदीव को 26 जुलाई 1965 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली थी. 1968 में, मालदीव एक गणराज्य बन गया और सुल्तान शासन समाप्त हो गया. आधुनिक युग में मालदीव में कई राजनीतिक बदलाव और सुधार हुए. आज, यह एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है, जो अपने पर्यटन उद्योग के लिए प्रसिद्ध है. 1970 के दशक में पर्यटन उद्योग की स्थापना ने मालदीव की अर्थव्यवस्था को नया आयाम दिया और यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया. मालदीव की संस्कृति में दक्षिण भारतीय, श्रीलंकाई, और अरब संस्कृतियों का प्रभाव देखा जा सकता है. धिवेही मालदीव की प्रमुख भाषा है, जो संस्कृत और प्राचीन सिंहली भाषा से प्रभावित है.
गैर मुस्लिमों को क्यों नहीं देते नागरिकता
मालदीव खुद को एक इस्लामी गणराज्य मानता है. संविधान के अनुसार, इस्लाम ही देश का धर्म है, और इस्लामिक कानूनों के तहत देश का प्रशासन होता है. यहां शरिया कानून का पालन किया जाता है, जो मुस्लिम नागरिकों पर लागू होता है. नागरिकता की नीति भी शरिया के अनुरूप है, जिसमें गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है. इनका संविधान यह स्पष्ट करता है कि केवल मुस्लिम व्यक्ति ही मालदीव के नागरिक हो सकते हैं. संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार, "कोई भी गैर-मुस्लिम व्यक्ति मालदीव का नागरिक नहीं हो सकता." राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति इस्लाम पर आधारित है. यह देश की एकता और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है कि सभी नागरिक एक ही धर्म का पालन करें.
धार्मिक स्थायित्व को बनाए रखने और किसी भी प्रकार के धार्मिक संघर्ष या विभाजन से बचने के लिए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता नहीं देने की नीति अपनाई गई है. मालदीव में गैर-मुस्लिमों को नागरिकता नहीं मिलने के पीछे मुख्यतः धार्मिक, संवैधानिक, सामाजिक और ऐतिहासिक कारण हैं. यह नीति देश की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और सामाजिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अपनाई गई है.
वर्तमान में मालदीव आज एक प्रगतिशील राष्ट्र है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, सफेद रेत के समुद्र तटों, और समृद्ध समुद्री जीवन के लिए प्रसिद्ध है. इसके अतिरिक्त, यह एक स्थिर राजनीतिक ढांचा और मजबूत आर्थिक स्थिति बनाए हुए है. मालदीव का इतिहास विविधताओं से भरा हुआ है और इसमें अलग-अलग संस्कृतियों और धर्मों का समावेश देखा जा सकता है. यह छोटे द्वीप समूह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के कारण भी प्रसिद्ध हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)