Nostradamus Ki Bhavishyavani: नास्त्रेदमस ने सदियों पहले कई ऐसी भविष्यवाणियां की थीं, जो आज सच होती नजर आ रही हैं. उनकी एक प्रसिद्ध भविष्यवाणी इस्लाम के अंत से जुड़ी है. जिसमें ये बताया गया है कि पाकिस्तान हिंसा और विनाश का केंद्र बनेगा. पाकिस्तान की 97% आबादी मुस्लिम है, जिनमें 85-90% सुन्नी और 10-15% शिया हैं. शिया और सुन्नी एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं. पुलिस और सेना की चौकियों को जलाने की घटनाएं भी सामने आई हैं. शिया और सुन्नी समुदाय न केवल एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं, बल्कि अहमदिया समुदाय को भी निशाना बना रहे हैं. अहमदिया मस्जिदों को तोड़ा जा रहा है, और उन पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं.
इस्लाम धर्म के लोगों के बीच संघर्ष: भविष्यवाणी का प्रमाण
नास्त्रेदमस ने कहा था कि इस्लाम को मानने वाले लोग आपस में शत्रु बन जाएंगे. यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी कि मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दूसरे से लड़ेंगे और मरेंगे. मुस्लिम समुदाय की छवि पूरी दुनिया में ऐसी हो जाएगी कि कोई भी देश उन्हें मदद देने या शरण देने को तैयार नहीं होगा. पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच बढ़ते संघर्ष इस भविष्यवाणी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं. पाकिस्तान में धार्मिक हिंसा के चलते अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं.
मुस्लिम देशों में बदलते हालात
दुनिया के कई मुस्लिम देशों ने कट्टरता को खत्म करने की दिशा में कदम उठाए हैं. सऊदी अरब की बात करें तो कट्टरपंथी मौलानाओं पर प्रतिबंध, धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा, अन्य धर्मों के पूजा स्थल बनाने पर चर्चा हो रही है. यूएई में बड़े पैमाने पर हिंदू मंदिरों का निर्माण, धार्मिक सहिष्णुता को अपनाना, क्लब और सिनेमा का प्रचार भी किया जा रहा है. सऊदी अरब और यूएई जैसे देश यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनका देश कट्टर इस्लामी छवि से बाहर आए. इसके लिए धार्मिक स्वतंत्रता और अन्य धर्मों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है.
इटली, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका जैसे देशों में मुसलमानों के खिलाफ खुलेआम बयान दिए जा रहे हैं. कई देशों ने मुस्लिम प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए कानून बनाए हैं. जबकि मुस्लिम देशों में कट्टरता घट रही है, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में यह बढ़ रही है. इसका कारण धार्मिक नेताओं और मौलानाओं द्वारा फैलाई जा रही नफरत है.
नास्त्रेदमस ने जो कहा था, वह आज के हालात में सटीक बैठता दिख रहा है. अगर कट्टरता को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो मुस्लिम समुदाय में आपसी संघर्ष और बढ़ेगा. सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों की तरह अन्य देशों को भी कट्टरपंथियों पर रोक लगानी होगी. समाज में शांति और स्थिरता लाने के लिए धार्मिक सहिष्णुता और कट्टरता को खत्म करना ही एकमात्र उपाय है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)