October First Pradosh Vrat 2022 Puja Vidhi aur Mahatva: कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखने का विधान है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 अक्टूबर, शुक्रवार को यानी आज है. ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को खास महत्व दिया गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुक्र प्रदोष से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत के पूजन के लिए सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त से 45 मिनट बाद का समय शुभ होता है. प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर वास करते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं अक्टूबर महीने के पहले प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में.
अक्टूबर माह शुक्र प्रदोष व्रत 2022 पूजा विधि (October First Pradosh Vrat 2022 Puja Vidhi)
- सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान कर लें.
- इसके बाद हल्के गुलाबी या सफेद रंग के वस्त्र धारण कर लें.
- फिर प्रदोष व्रत की पूजा का संकल्प लें.
- पूजन स्थल पर अक्षत, गंगाजल, धूप-दीप, बेलपत्र और फूल इत्यादि पूजा सामग्री की व्यवस्था कर लें.
- इसके बाद इन पूजन सामग्रियों से भगवान शिव की पूजा करें.
- प्रदोष व्रत निराहार किया जाता है यानी व्रत के दौरान आहार ग्रहण नहीं किया जाता है, इसलिए इसका खास ध्यान रखें.
- व्रत के दौरान जल का सेवन किया जा सकता है.
- प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर मां पर्वती सहित शिवजी की पूजा करें.
- सूर्यास्त से पहले फिर से स्नान करके प्रदोष काल में पूर्व-उत्तर की ओर मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं.
- इससे खुद पवित्र होकर शिवजी को गंगाजल से अभिषेक करें.
- इसके बाद शिवजी को अक्षत, धूप, दीप, रोली इत्यादि पूजन सामग्रियों से पूजा करें.
- भगवान शिव को चावल की खीर का भोग लगाएं.
- पूजन के बाद ओम् नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें.
- अंत में आरती करने के बाद शिव को प्रणाम करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें.
अक्टूबर माह शुक्र प्रदोष व्रत 2022 महत्व (October First Pradosh Vrat 2022 Mahatva)
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है. इस दिन प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने से भक्तों को गाय के दान के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत में इसे प्रदोषम् के नाम से जाना जाता है. माता पार्वती और भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा जाता है.
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अलग अलग प्रदोष व्रत से मिलने वाले अलग अलग लाभ (Different Benefits From Different Pradosh Vrat)
- प्रदोष व्रत का अलग-अलग दिन के अनुसार अलग-अलग महत्व है.
- ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन यह व्रत आता है उसके अनुसार इसका नाम पड़ता है.
- साथ ही दिन के अनुसार ही, इसका महत्व और इससे मिलने वाले लाभ भी बदल जाते हैं.
- जो उपासक रविवार को प्रदोष व्रत रखते हैं, उनकी आयु में वृद्धि होती है अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.
- सोमवार के दिन के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है और इसे मनोकामनायों की पूर्ती करने के लिए किया जाता है.
- जो प्रदोष व्रत मंगलवार को रखे जाते हैं उनको भौम प्रदोषम कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती.
-बुधवार के दिन इस व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है.
- बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है.
- वो लोग जो शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है.
- शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है और लोग इस दिन संतान प्राप्ति की चाह में यह व्रत करते हैं. अपनी इच्छाओं को ध्यान में रख कर प्रदोष व्रत करने से फल की प्राप्ति निश्चित हीं होती है.