भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र, भगवान सुदर्शन और देवी सुभद्रा के साथ वापस अपने घर लौट आए है। उनकी इस यात्रा को बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
इस दौरान घंटा, झाल, शंख और 'हरि बोल' के उच्चारण के बीच देवताओं को गुंडिचा मंदिर से बाहर लाया गया और उन्हें 'पहंडी' जुलूस के जरिए रथ पर ले जाया गया।
बाहुड़ा यात्रा भगवान जगन्नाथ और भाई-बहनों की गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर की वापसी का प्रतीक है।
मान्यता है कि देवता रथयात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह देवताओं के 12 सदी के मंदिर से देवी गुंडिचा मंदिर की नौ दिनों की यात्रा होती है। देवी गुंडिचा उनकी मौसी हैं।
लगातार हो रही बारिश के बीच भी हजारों श्रद्धालु रविवार को पुरी के पवित्र शहर में जमा हुए और बाहुड़ा यात्रा के साक्षी बने।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अधिकारियों ने कहा कि धार्मिक संस्कार अपनी निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आयोजित हुए और यात्रा सुचारू रूप से हुई।
देवताओं के सुना बेश (सोने के परिधान) सोमवार को उनके संबंधित रथों पर आयोजित किए जाएंगे।
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Source : News Nation Bureau