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Chandrayaan 3: चंद्रयान 3 की सफल लैंडिग पर जानें हर धर्म के लिए चंद्रमा का महत्त्व

Religious Importance of Moon: आप हिंदू हैं, मुस्लिम हैं या फिर किसी भी धर्म के हों चांद का महत्त्व हर धर्म मे हैं. भारत के Chandrayaan 3 Landing पर जहां पूरे विश्व की नज़र है ऐसे में हम आपको बताते हैं हर धर्म से जुड़ी चांद की धार्मिक मान्यताएं

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Inna Khosla
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chandrayan 3 Religious Importance of Moon

Religious Importance of Moon( Photo Credit : Social Media)

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Religious Importance of Moon: चंद्रयान 3  की सफलता के लिए देशभर में पूजा अर्चना की जा रही है. चाहे किसी भी धर्म के लोग क्यों ना हो अगर वो सच्चे भारतीय हैं तो आज वो भी यही कामना कर रहे हैं कि भारत इतिहास रचे. चंदा मामा की कहानियां तो हम सबने बचपन में सुनी हैं लेकिन आज हम आपको चन्द्रमा का हर धर्म में क्या महत्त्व है ये बता रहे हैं. चंद्रमा विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हर धर्म यही दावा करते हैं कि चांद उनका है. तो आइए जानते हैं चांद से जुड़ी ये धार्मिक मान्यताएं

हिन्दू धर्म में चंद्रमा का महत्त्व

हिन्दू धर्म में चंद्रमा को चंद्रमा देव की रूप में पूजा जाता है. उन्हें विद्या, बुद्धि, नौकरी, विद्या-प्राप्ति, और शांति के प्रतीक माना जाता है. ऐसे कई तीज त्योहार हैं जिसमें चांद की पूजा की जाती है, जैसे करवाचौथ का व्रत चांद को देखकर खोलते हैं. तो पूर्णिमा की रात कई कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है. कुछ विशेष शक्तियां हासिल करने के लिए भी संत महात्मा इस रात विशेष पूजा करते हैं. शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखकर फिर उसे अगले दिन खाते हैं, कहते हैं इसमें कई औषधीय गुण तो आ ही जाते हैं साथ ही कुंडली में चांद की स्थिति भी मजबूत होती है. 

इस्लाम में चंद्रमा का महत्त्व

इस्लामी धर्म में चंद्रमा के बारे में कुछ आदित्य सिल्मी और आसमानी बातें हैं. चंद्रमा को 'चांद' कहा जाता है और उसके उपर देखने की बात को अमावस का महत्व दिया गया है. हर साल ईद का त्योहार कब है ये चांद पर ही निर्भर करता है. 

बौद्ध धर्म में चंद्रमा का महत्त्व

बौद्ध धर्म में चंद्रमा के ऊपर भी विशेष महत्व दिया गया है. बौद्ध धर्म में महात्मा बुद्ध के जीवन के कुछ घटनाक्रम ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जोड़े जाते हैं. उनमें से एक कथा है जिसमें बुद्ध का जन्म चंद्रमा में हुआ था. इसके अनुसार, वह तुरंत उत्तर में आये और पहले दिन ही चल पड़े, जैसे कि चंद्रमा उत्तर दिशा में चलता है. बौद्ध धर्म में चंद्रमा की पूजा की जाती है और उसे धार्मिक महत्व दिया जाता है. उसकी पूजा के दौरान विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाएं और मंत्र पढ़े जाते हैं. बौद्ध धर्म में मोक्ष की प्राप्ति के लिए उपयोगिता का मार्ग चुनने की सलाह दी जाती है, जिसे चंद्रमा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.

वेदांतिक धर्म में चंद्रमा का महत्त्व

वेदांत में चंद्रमा को मनस्तत्त्व का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि मन चंद्रमा की तरह ही चलता है और उसकी सुस्त और विचलित चाल की प्रतीक है. इसलिए पूर्णिमा की रात को ध्यान लगाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. 

जैन धर्म में चंद्रमा का महत्त्व

जैन धर्म में चंद्रमा की महत्वपूर्ण भूमिका है. जैन धर्म का पालन करने वाले लोग सूर्य के रहते खाना खा लेते हैं क्योंकि ये मानते हैं कि इससे पाचन क्रिया अच्छी रहती है. चांद की रोशनी में सभी काम धीमे होते हैं और चंद्रमा का आनंद लेने के लिए आपको सभी कार्यों से मुक्त रहना चाहिए. इससे जीवन में तनाव नहीं आता. उनके अनुसार, चंद्रमा का समय समय पर जीवों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है. जैन दो प्रकार के स्थान भेद करते हैं. पहला विश्व स्थान जिसमें लोक-आकाश है, जहां सभी आत्माएं विभिन्न शरीर-रूपों में रहती हैं और पुनर्जन्म लेती हैं दूसरा गैर-विश्व स्थान (अलोक-आकाश) है, जो अंतहीन है. 

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इन सभी धार्मिक परंपराओं में चंद्रमा की अलग-अलग महत्वपूर्ण भूमिकाएं होती हैं, जो धार्मिक आदर्शों पर निर्भर करती हैं. आप किसी भी धर्म के क्यों ना हो लेकिन चांद की पूजा करना उसे शुभ मानते है. और कुछ भी ना करें तो चांद की रोशनी में शांति का अनुभव तो सभी करते हैं. चंद्रमा से निकलने वाला प्रकाश अद्भुत सुकून देने वाला होता है. 

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