Guru Nanak Jayanti 203: हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को सिखों के पहले गुरु की जयंती मनायी जाती है. गुरु नानक देव, सिख धर्म के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक थे. उनका जन्म 1469 में हुआ था और वे 1539 में इस लोक से उस लोक में प्रस्थान कर गए. गुरु नानक देव की कहानी उनके धार्मिक और सामाजिक योगदान आज भी सराहे जाते हैं. हम आपको गुरुनानक देव के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं. उनके जन्म और बचपन से लेकर उनके माता-पिता, गुरु और सिद्धांतों के बारे में इस मौके पर हम ये जानकारी शेयर कर रहे हैं.
जन्म और बचपन: गुरु नानक देव का जन्म 1469 में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के नानकाना साहिब में है. उनका वास्तविक नाम नन्द था। उनके माता पिता का नाम मेता त्रिपति और मेता कलू था.
दिव्य दृष्टि: नानक को बचपन से ही दिव्य दृष्टि थी और उनमें भगवान के प्रति अद्वितीय भक्ति की भावना थी. वे बचपन से ही साधु-संतों और विचारकों के साथ यात्रा करते रहे और अपने अद्वितीय उपदेशों के माध्यम से लोगों को मार्गदर्शन करते रहे.
विचारशीलता: गुरु नानक देव ने समाज में सामाजिक और धार्मिक समानता की बात की और उन्होंने सभी मानवों को एक ही परमात्मा के सामने समर्पित होने की महत्वपूर्णता को बताया.
श्री गुरुग्रांथ साहिब: गुरु नानक देव ने अपने उपदेशों को गुरु ग्रंथ साहिब में संग्रहित किया जो सिख धर्म के प्रमुख ग्रंथ के रूप में माना जाता है.
सिख धर्म की स्थापना: गुरु नानक देव ने सिख धर्म की नींव रखी और उनके बाद उनके उत्तराधिकारी गुरु अगले गुरुओं ने सिख समुदाय को आगे बढ़ाया। सिख धर्म के तीन प्रमुख सिद्धांतों में से पहला है "नाम जपो" (भगवान के नाम का जप करो), दूसरा है "किरत करो" (ईमानदारी से काम करो), और तीसरा है "वंद छको" (अपना कमाया हुआ शेयर करो).
सिख धर्म के तीन प्रमुख सिद्धांत
नाम जपो (नाम सुमिरन): सिख धर्म का पहला महत्वपूर्ण सिद्धांत है "नाम जपो" या भगवान के नाम का जप करना. इसका मतलब है कि भक्ति में समर्पित रहकर भगवान के नाम का स्मरण करना और उनके साथ अद्वितीयता में लीन रहना। इसका उद्देश्य आत्मा को दिव्यता की दिशा में प्रेरित करना है.
किरत करो (ईमानदारी से काम करो): दूसरा सिद्धांत है "किरत करो" या ईमानदारी से काम करना। सिख धर्म में काम करने का तात्पर्य ईमानदारी से, अपने काम में प्रेम से, और दूसरों की सेवा में समर्पित रहने से है.
वंद छको (अपना कमाया हुआ शेयर करो): तीसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत है "वंद छको" या अपना कमाया हुआ शेयर करना। सिख धर्म में सामाजिक न्याय और समाज में समृद्धि की दिशा में यह सिद्धांत बताता है कि अगर किसी के पास आधिकारिक रूप से कुछ है तो उसे उसे आपसी साझेदारी और दान में बांटना चाहिए.
इन सिद्धांतों का पालन करके सिख धर्म के अनुयायियों को आत्मिक और सामाजिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है. गुरु नानक देव के जीवन और उनके उपदेश सिख धर्म के आदि को सूचित करते हैं और उनका योगदान समाज में सामाजिक और धार्मिक उन्नति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau