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Ganesh Chaturthi 2021: विनायक चतुर्थी पर भूलकर भी ना देखें चांद, जानें इसकी बड़ी वजह

10 सितंबर को गणपति बप्पा पधारने वाले हैं. पूरे भारत में गणपति बप्पा के इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा-भक्ति और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. विनायक चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहते हैं. इस दिन चंद्रमा देखना मना होता है.

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nitu pandey
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विनायक चतुर्थी पर भूलकर भी ना देखें चांद, जानें इसकी बड़ी वजह ( Photo Credit : ANI/File photo)

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Ganesh Chaturthi 2021: 10 सितंबर को गणपति बप्पा पधारने वाले हैं. पूरे भारत में गणपति बप्पा के इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा-भक्ति और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. विनायक चतुर्थी को कलंक चतुर्थी, गणेश चौथ और शिवा चतुर्थी भी कहते हैं. धर्मग्रंथों की मानें तो इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए. अगर विनायक चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करते हैं तो झूठा कलंक लगता है.  कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी को भगवान श्रीकृष्ण ने भी चंद्रमा को देख लिया था जिसके बाद उनपर  स्यमंतक मणि चुराने का झूठा आरोप लगा था. अपने ऊपर लगे कलंक से मुक्ति पाने के लिए श्रीकृष्ण को गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करनी पड़ी थी. श्रीकृष्ण ने गणेश चतुर्थी का व्रत किया था.

कृष्ण-स्यमंतक कथा पढ़ने से कलंक होता है दूर
ज्योतिषचार्य के अनुसार अगर गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन हो जाये तो कलंक चतुर्थी की कृष्ण-स्यमंतक कथा को पढ़ने या सुनने पर गणेशजी माफ कर देते हैं. इसके साथ ही कलंक से बचने के लिए हर दूज का चांद भी देखना जरूरी होता है. इसके साथ ही एक मंत्र पढ़ने से भी कलंक दोष से बच सकते हैं. वो मंत्र है-

सिंहः प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमार मा रोदीस्तव ह्मेषः स्यमन्तकः।।

चंद्रमा को गणेश जी ने दिया था श्राप
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों इस दिन चंद्रमा को देखना मना होता है. तो इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है. भगवान गणेश के सिर कटने पर उनके पिता भगवान शिव ने गज का मुख लगाया. जिसकी वजह से वो गजानन भी कहलाए. उस वक्त सभी देवता ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराते रहे. उन्हें अपने सौंदर्य पर अभिमान था. 

गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा अभिमान वश उनका उपहास कर रहे हैं. क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे. चंद्रमा को अपनी भूल का एहसास हुआ. उन्होंने श्रीगणेश जी से क्षमा मांगी तो गणेश जी ने कहा कि सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन पूर्ण हो जाओगे यानी पूर्ण प्रकाशित होंगे. लेकिन चतुर्थी का यह दिन तुम्हें दण्ड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा. इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा. जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप लगेगा.

गजानन की पूजा विधि-
सबसे पहले गणपति भगवान को स्नान कराए. उन्हें वस्त्र धारण कराए. 
फिर तिलक लगाए और पुष्प अर्पित करें.
दीप और धूप जलाएं. 
इसके बाद गणपति भगवान को लड्डू या मोदक चढ़ाएं. 
गणपति भगवान को लड्डू या मोदक बहुत ही पसंद है. उन्हें भोग में लड्डू या फिर मोदक चढ़ाए. 
विनायक चतुर्थी के दिन गणपति भगवान को 21 मोदक या लड्डू चढ़ाएं. 

प्रार्थना के लिए ये श्लोक पढ़ें - विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।

गणपति बप्पा के पूजा से तमाम विघ्न समाप्त हो जाते हैं. धर्म में लिखा हुआ है, माता पार्वती और पिता शिव के समक्ष गणेश ने वेद में यह वचन कहें, जो आज बेहद अहमियत रखता है. 

पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रांतिं च करोति य:। 
तस्य वै पृथिवीजन्य फलं भवति निश्चितम।।  

मतलब जो माता-पिता की पूजा करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसको पृथ्वी की परिक्रमा करने का फल मिलता है. गणेश जी कहते हैं कि माता-पिता की पूजा असल में सभी देवी-देवताओं की पूजा है.गणेश भगवान प्रथम पूज्य देव कहे जाते हैं. कभी भी कोई भी शुभ काम करना हो, या फिर किसी भी देवता की पूजा होती है तो सबसे पहले गणेश भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.

Source : News Nation Bureau

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