First Day of Navratri: 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रों की शुरुआत हो रही है. इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. मां शैलपुत्री की उपासना न केवल नवरात्रि के पहले दिन, बल्कि जीवन की हर स्थिति में महत्वपूर्ण है. वे हमें धैर्य, साहस और शांति का मार्ग दिखाती हैं. उनकी कृपा से साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतुष्टि मिलती है. मां शैलपुत्री का नाम स्वयं में शक्ति और सकारात्मकता का प्रतीक है और उनकी उपासना से साधक को असीम आनंद और शांति की प्राप्ति होती है. अगर आप उनकी पूजा विधि नहीं जानते तो नोट करें.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Goddess Shailputri Puja Vidhi)
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन पूजा करने से साधक का मन आध्यात्मिकता और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है. मां शैलपुत्री की पूजा विधि बहुत सरल है और इसे विधिवत रूप से करने से साधक को उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है.
सबसे पहले साधक को स्वच्छ होकर पूजा स्थल को शुद्ध करना चाहिए. मां शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर को एक पवित्र स्थान पर स्थापित करें और उस पर फूलों की माला चढ़ाएं. मां को सफेद रंग के वस्त्र और फूल अर्पित करें, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है. इसके बाद जो व्यक्ति पूजा कर रहा है वो मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करे. मंत्र जाप से मन शांत होता है और उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मां शैलपुत्री का प्रमुख मंत्र है: "ॐ शैलपुत्र्यै नमः" इस मंत्र का जाप 108 बार करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. इसके साथ ही मां को प्रसाद अर्पित करें और अंत में मां की आरती करें.
नवरात्रि में मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व (Importance of Maa Shailputri Puja in Navratri)
नवरात्रि का पहला दिन साधक के लिए नए संकल्पों और नई ऊर्जा के साथ शुरुआत करने का दिन होता है. मां शैलपुत्री की पूजा से साधक को यह प्रेरणा मिलती है कि वे अपने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का धैर्यपूर्वक सामना करें और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है र मां शैलपुत्री की पूजा से नवरात्रि का शुभारंभ होता है. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से सभी प्रकार की परेशानियों और बाधाओं का नाश होता है. इस दिन अगर जातक अपने मन को शुद्ध और एकाग्र करके मां की उपासना करता है तो उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)