हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हम कोई भी कार्य करते हैं तो शुभ और अशुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए करते हैं ताकि वो काम हमें अच्छा फल दे. इन्हीं मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है पंचक. ज्योतिषशास्त्र में पंचक को अशुभ मुहूर्त में माना गया है, लेकिन इसमें कुछ समय ऐसा भी है जिसमें हम शुभ कार्य कर सकते हैं. तो चलिए हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि पंचक शुरू कब से है, इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
पंचक कब से शुरू है ?
पंचांग के अनुसार पंचक 2 नवंबर यानी की बुद्धवार को 2 बजकर 16 मिनट से लेकर 7 नवंबर यानी की सोमवार को रात 12 बजकर 4 मिनट को समाप्त होगा.
पंचक क्या है?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पंचक के दौरान कोई शुभ कार्य करने में मनाही होती है.नक्षत्रों के दौरान मेल से जो विशेष योग बनते हैं. उसी को पंचक कहते हैं. इसमें पांच नक्षत्र शामिल हैं, जैसे- घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती.
जब इन पांच नक्षत्रों में चंद्रमा गोचर करता है, तब वह काल पंचक कहलाता है.
पंचक काल में क्या करना है शुभ ?
पंचक काल को दोहराने का कारक मानते हैं, यानी की हमारे साथ जो घटना घट चुकी है उसका रिपीटेशन होने की संभावना ज्यादा होती है. ऐसे में कुछ अच्छी घटना भी होती है और कुछ बुरी घटना भी होती है.
पंचक काल में इन कार्यों को करना है वर्जित
1- पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए.
2- इस समय कोई मांगिलक कार्य करना वर्जित है.
3-अगर आप नया घर बनवा रहें तो घर की छत का निर्माण नहीं करना चाहिए.
4-अगर पंचक काल के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई है तो मृतक के शव के साथ पांच कुश के पांच पुतले बनवाएं, इससे आत्मा को मुक्ति मिलती है.
HIGHLIGHTS
- क्या है पंचक काल
- कब है पंचक काल मुहुर्त
- पंचक काल में क्या करना है वर्जित
Source : News Nation Bureau