पवित्र सूर्य कुण्डली के रचियता, भारतीय ज्योतिष के महान ज्ञाता पारस परिवार के मुखिया श्री पारस भाई गुरु जी (Shri Paras Bhai ji) ने विश्व शांति कल्याण के लिए पारस परिवार (Paras Parivaar) के कार्यालय में शांति यज्ञ का आयोजन किया. जिसमें पारस भाई जी और देश को प्यार करने वाले भारतीयों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. इस आयोजन मे पारस भाई जी ने मां भगवती व भारतीय ज्योतिष की महानता व दिव्यता के गुणों का वर्णन भी किया. साथ ही गुरुदेव पारस भाई जी ने मां भगवती के भजन भी गाए. जिसका सभी ने बहुत आनंद लिया. मां भगवती के उपासक पारस परिवार के मुखिया बहुत मधुर वाणी से सबका मन मोह लेते हैं. पारस भाई जी (Shri Paras Bhai ji) समाज के हर वर्ग और हर वर्ण के साथ हमेशा खडे़ रहते हैं और कभी ऊंच नीच का भेदभाव नहीं होने देते. क्योंकि उनका एकमात्र उदेश्य सनातन धर्म का प्रचार, आडम्बरों से मुक्ति और कमजोर लोगों के उत्थान में लगे रहना है. यहां पारस गुरु जी (Paras Guru ji) ने अपनी पवित्र सूर्य कुण्डली के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि मानव कितना ही विद्वान व अध्ययनशील क्यों न हो जाए. वह ईश्वर तो क्या हमारे देवी, देवाताओं, यक्ष, गनधर्व तक की बराबरी नहीं कर सकता है. समस्त संसार का ज्ञान विज्ञान समय-समय पर देवी, देवताओं व ऋषि-मुनियों द्वारा अपने-अपने तरीके से प्रकट किया गया है, जिससे मानव जीवन का कल्याण संभव हुआ.
हमारे जीवन के सुख, दुख, विचार, क्रियाएं सभी परमात्मा की तरफ से तय विधि का विधान है. मानव के ज्ञान की सीमाएं सीमित हैं. यही कारण है कि देवी देवताओं द्वारा प्रकट किए गए ज्ञान का किसी एक ही मुख्य धारा को लेकर उसका विवेचन व विश्लेषण प्रत्येक ऋषि-मुनियों, आचार्य व विद्वानों ने किया. जबकि अन्य धाराओं को प्रायः छोड़ ही दिया. यही कारण है कि भारतीय ज्योतिष का प्राचीन दुर्लभ ज्ञान भी कई धाराओं में विभक्त हो गया. इसे पढ़ कर विदेशों के विद्धान तो नाम कमा गए पर हमारे देश भारतवर्ष में आज भी इसे संघर्ष करना पड़ रहा है. हम कीरो व नास्त्रेदमस (nostradamus) की भविष्यवाणियों को तो जानते हैं पर भारतीय ज्योतिष का एक भी ऐसा चेहरा नहीं जो विश्व पटल पर स्थापित है.
इसलिए पारस भाई गुरु जी (Paras Bhai Guru ji) ने इस ज्ञान को एक पुस्तिका का रूप देकर प्रकाशित करना शुरू किया. वैसे तो पारस गुरु जी की नजर में ज्योतिष का सम्पूर्ण संसार इतना विस्तृत है कि इसकी चर्चा किसी भी बड़े से बड़े ग्रंथ में करना संभव नहीं है. ज्योतिष ग्रन्थों के मतानुसार व अपने ज्ञानानुसार जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्न जो हमारे अतिज्ञानवान लोगों ने लगभग छोड़ ही दिए हैं, उन प्रश्नों, समस्याओं व जीवन मे होने वाली सम्भावनाओं को एकत्र कर पवित्र सूर्य कुण्डली (Surya Kundli) में सलग्न किया. जिसे भारत ही नहीं दुनिया के सभी देशों में रहने वाले हर वर्ग के लोगों ने हाथों हाथ लिया. आज वह पवित्र सूर्य कुण्डली से लाभ भी उठा रहे हैं. पवित्र सूर्य कुण्डली जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, सूर्य से उजागर होने वाली कुण्डली है. सूर्य व्यक्ति के शरीर, सफलताओं, धन-वैभव और मान-सम्मान पर असर डालता है और अगर सूर्य ही नहीं है तो भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, रूस, चीन यानि पूरा विश्व जीवन की परिकल्पना तक नहीं कर सकता. ऐसे मे पवित्र सूर्य कुण्डली सूर्य को ही आधार मानकर बनाई गई है. क्योकि पृथ्वी सहित अन्य सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं. सूर्य तेज, आत्मा, सम्मान, पराक्रम तथा क्रोध का प्रतीक है और वेदों में सूर्य देव की आराधना सर्वोपरि है. स्वयं सूर्य देव को भी भगवान विष्णु का साक्षात् रूप कहा गया है. यहां तक कि गायत्री मंत्र में भी सूर्य की ही आराधना है. जिसे देश ही नहीं दुनिया के सभी वैज्ञानिक भी अलग अलग मतानुसार उसके प्रभाव की विवेचना करते रहते हैं. उसी पवित्र सूर्य कुण्डली में पारस भाई गुरु जी द्वारा नियत भविष्यवाणियां वर्णित होती हैं. वैसे तो देश व समाज पर पारस भाई बहुत सी भविष्यवाणियां करते रहते हैं. जो लगभग हमेशा सत्य बनकर ही हम सबके सामने उजागर होती हैं.
श्री पारस भाई जी की भविष्यवाणी (Shri Paras Bhai ji ki Bhavishyawavni) - अभी भारतवर्ष के लिए गुरु देव पारस भाई (Paras Bhai) ने कहा, ‘‘अभी समय है हमारे देश के पास कि हम सब भयंकर अनिष्ट होने से पहले अपने आपको गलत मान्यताओं और भिन्न-भिन्न धारणाओं से हटाकर एक हो जाएं. ऐसे में हमें हमारी पुरानी व्यवस्थाओं को छोड़ कर यानि जात-पात, ऊंच-नीच, रंग,भेद, वर्ण से हटकर एक हो जाना चाहिए. क्योंकि कभी कहीं एससी, एसटी आंदोलन हो जाता है, तो कभी जाट आरक्षण, कभी पाटीदार आंदोलन, कभी गुर्जर आरक्षण, मराठा आरक्षण तो कभी कुछ तो कभी कुछ. आज देश मे सभी जाति या समूह के लोग अपने समाज की बात करते हैं. हर कोई अपने आपको सबका हितैषी बताने में लगा हुआ है. हर किसी को दूसरी जात और दूसरे वर्ण से खतरा महसूस हो रहा है. यही नहीं अपने पड़ोसियों तक से हम भयभीत हैं और वह हमसे. जात-पात और धर्म के नाम पर भड़के हुए लोगों को प्रेम का पाठ पढ़ा कर सत्मार्ग पर ले जाकर मानव मूल्यों का सही अर्थ बताने से ही देश एक रह पाएगा. तभी भारत विश्वगुरु और ताकत बनकर उभरेगा. ऐसा न हो कि वह समय आ जाए कि मकान नम्बर 806 मेरा 'देश' है और बाकी सब दूसरे देश के... यह डर की चरमसीमा होगी और कोई भी सुरक्षित नहीं बचेगा.
पारस भाई कहते हैं कि अगर इस सहमे हुए भविष्य से बचना है तो हर आदमी, हर औरत और हर बच्चा अपनी जात-पात, अपने वंश की महानताओं और विचारधाराओं को भुलाकर अपने नाम के पीछे अपनी जाति न लगाकर केवल हिन्दुस्तानी लगाए. उदाहरण के लिए राम हिन्दुस्तानी, रहीम हिन्दुस्तानी, करतार हिन्दुस्तानी, अब्राहम हिन्दुस्तानी. जहां कोई जात-पात और धर्म नहीं होगा. वही देश हिन्दुस्तान होगा. जब तक राष्ट्रभक्ति नहीं है तब तक कुछ नहीं है. प्रत्येक धर्म, वर्ण व वर्ग के लोगों को सच्चा राष्ट्रभक्त बनना होगा. जो देश को सबसे पहले समझे, फिर समाज को, उसके बाद अपने परिवार को और फिर कुछ बचे तो अपने आपको.
इसी के साथ पारस भाई जी (Paras Bhai ji) की तरफ से आप सभी को जय माता दी. जल्द ही अगले लेख मे मिलेंगे और पारस गुरु जी (Paras Guru Ji) के अगले लेख को पढ़ना व शेयर करना न भूलें. अगला लेख डिप्रेशन (Depression) पर आधारित होगा.
(यह आर्टिकल न्यूजस्टेट की सिंडिकेट फीड से ऑटो जेनरेटेड है.)
Source : Agencies