Parivartani Ekadashi 2022 Bhagwan Vishnu Changing Position Effect: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. एक महीने में दो एकादशी तिथि होती है, इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि आती हैं. इनमें से हर तिथि का अपना अलग नाम और महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस बार 6 सितंबर, दिन मंगलवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पड़ने जा रही है. जिसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का नाम परिवर्तनी इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं. ऐसे में आइए हैं इस रहस्य के पीछे का तथ्य.
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परिवर्तनी एकादशी को जलझूलनी एकादशी एवं पद्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इतना ही नहीं, कुछ जगहों पर इसे डोल ग्यारस भी कहते हैं. मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से घर में खुशहाली आती है, तनाव से मुक्ति मिलती है, जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं और शत्रु भी घुटनों के बल आ जाते हैं.
इस समय चतुर्मास चल रहा है. चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में योगनिद्रा में रहते हैं. यानी कि भगवान इन 4 महीनों में आराम करते हैं और इसी समय पर भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं. माना जाता है कि भले ही भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में करबट लेते हैं लेकिन उनके ऐसा करने से व्यक्ति का जीवन और उसका भाग्य भी उसके द्वारा किये गए कर्मों के अनुसार परिवर्तित होने लगता है.
अर्थात जिस व्यक्ति ने आध्यात्मिक आचरण अपनाते हुए खूब महनत की हो उसे उसकी उस महनत का फल मिलने लगता है और उसका जीवन उन्नति की ओर बढ़ता है. वहीं, जिस व्यक्ति ने बुरे आचरण को अपनाते हुए अब तक जिस जिस के साथ बुरा किया होगा उसे उसके बुरे कर्मों के फल मिलने लग जाते हैं.