Mata Parvati Ke Mantra: माता पार्वती के जप या मंत्रों का अनुसरण करना एक आध्यात्मिक प्रयास हो सकता है जो पति की दीर्घ आयु के लिए किया जाता है. यहां कुछ माता पार्वती के मंत्र दिए जा रहे हैं, जिन्हें ध्यानपूर्वक और भक्ति भाव से जाप किया जा सकता है. माता पार्वती, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं जो भगवान शिव की पत्नी मानी जाती हैं. उन्हें देवी, गौरी, उमा, शैलजा, आदि कई नामों से पुकारा जाता है। माता पार्वती का रूप बहुतंतुकी और सौंदर्य से युक्त माना जाता है और वह सभी शक्तियों की स्वामिनी मानी जाती हैं. माता पार्वती का जन्म पहाड़ी राजकुमारी के रूप में हुआ था, और उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था. उन्होंने भगवान शिव को अपने तपस्या और साधना के बल पर प्राप्त किया था. माता पार्वती का रूप सुंदर और प्रेरणादायक है। उन्हें अग्निज्वाला से उत्पन्न किया गया था, इसलिए उन्हें "अग्निज्वाला" के नाम से भी जाना जाता है. माता पार्वती का एक प्रमुख शक्तिपीठ है कालीका पीठ, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित है। उन्हें नवरात्रि के दौरान नवदुर्गा के साथ पूजा जाता है और उनकी भक्ति में भक्तों को शक्ति और सान्त्वना का अहसास होता है. माता पार्वती का ध्यान करने से भक्तों को सांत्वना, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है, और उन्हें दैवीय आशीर्वाद मिलता है। उनकी पूजा से समस्त जीवन को शुभ और समृद्धि से भरा हुआ महसूस होता है.
माता पार्वती मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।"
मंत्र का अर्थ है:
"ॐ": परम ब्रह्म, ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतीक है, यह ब्रह्म की अद्वितीयता को प्रतिष्ठित करता है.
"ऐं": देवी की उत्कृष्ट शक्ति और सौंदर्य को प्रस्तुत करता है.
"ह्रीं": आपकी आत्मा के ऊँचे स्तर की ऊर्जा और आत्मा की उच्चता का प्रतीक है.
"क्लीं": शक्ति और क्रियाशीलता को दर्शाता है.
"चामुण्डायै": चामुण्डा, एक अद्भुत रूप में प्रकट होने वाली देवी का नाम है.
"विच्चे": शक्तिशाली और सबसे उच्च स्तर पर स्थित होने का यह विशेष विशेषण है.
इस मंत्र का जाप करने से चामुण्डा देवी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को आत्मा की ऊँचाइयों तक पहुंचने में सहायक होता है. यह मंत्र शक्ति, सौंदर्य, और उच्च स्तर की आत्मा को अद्वितीयता की अनुभूति का मार्ग दिखा सकता है. यह मंत्र माता पार्वती की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है.
पार्वती गायत्री मंत्र: "ॐ गौरी देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।"
मंत्र का अर्थ है:
"ॐ": परम ब्रह्म का प्रतीक है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और शिव में समाहित है.
"गौरी देव्यै": गौरी, जो माता पार्वती का एक रूप है, की प्रशंसा करते हैं.
"च विद्महे": हम जानते हैं और उसे समझते हैं.
"कामराजाय": कामदेव, यानी प्रेम और आकर्षण के देवता को दर्शाने वाले.
"धीमहि": हम उस पर ध्यान करते हैं और उसे मनन करते हैं.
"तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्": हमारे मन को शक्तिशाली बनाएं, हमें सहायता करें, और हमें उच्च आत्मा की दिशा में प्रेरित करें.
यह मंत्र माता पार्वती की पूजा के लिए है और इसका जाप करने से भक्त को माता की कृपा, प्रेम, और आशीर्वाद का अनुभव हो सकता है. इसका उच्चारण भक्ति और साधना के साथ किया जाता है ताकि व्यक्ति अपने आत्मिक सफलता की दिशा में बढ़ सके. इस मंत्र का जाप पति की दीर्घ आयु के लिए माता पार्वती की कृपा को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है.
दुर्गा स्तोत्र:
"या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।"
मंत्र का अर्थ है:
"या देवी सर्वभूतेषु": जो देवी सभी भूतों में (सभी प्राणियों में) प्रतिष्ठित हैं.
"शक्तिरूपेण संस्थिता": जो अपने स्वरूप में शक्ति के रूप में स्थित हैं
"नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः": हम उनकी पूजा करते हैं, हम उन्हें नमस्कार करते हैं, हम उनकी आराधना करते हैं, हम उन्हें प्रणाम करते हैं.
इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति देवी की कृपा, शक्ति, और सान्त्वना को प्राप्त कर सकता है. यह मंत्र माता की सर्वशक्तिमत्ता और सभी प्राणियों में विद्यमान होने की पूजा के रूप में किया जाता है. इस स्तोत्र के जाप से आप पति के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना कर सकते हैं।
भगवती सुक्तम:
"नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मताम्।"
मंत्र का अर्थ है:
"नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः": हमें हमेशा उस महादेवी (पार्वती) और भगवान शिव का नमस्कार है.
"नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मताम्": हम प्रकृति और भद्रा के लिए सदा नमस्कार करते हैं, हम उसके समर्थन में सदैव विश्वास करते हैं, और हमेशा उसकी पूजा में समर्थ रहते हैं.
यह मंत्र पार्वती देवी और भगवान शिव की पूजा के लिए है और इसका जाप करने से भक्त को शांति, सुख, और दिव्यता का अनुभव हो सकता है। यह मंत्र देवी और देवता के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है. इस सुक्तम का पाठ पति की दीर्घ आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए किया जा सकता है.
इन मंत्रों का नियमित रूप से जाप करना श्रद्धापूर्वक किया जाना चाहिए, और इसे सकारात्मक भावना के साथ किया जाना चाहिए. यह साधक को आत्मिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि करने में सहायक हो सकता है और पति की दीर्घ आयु की कामना को संजीवनी बना सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau