हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष के विशिष्ट महीने में जो अमावस्या मनाई जाती है उसी विशेष अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है. बता दें कि, इस दिन काफी सारें धर्मिक कार्य भी किए जाते हैं. साथ ही सनातन धर्म में पौष अमावस्या का काफी महत्व भी बताया गया है. पौष अमावस्या के दिन को मृत पूर्वजों के लिए श्राद्ध और तर्पण करने के लिए अत्यधिक उपयुक्त माना जाता है. बता दें कि, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि के समय पौष अमावस्या मनाई जाती है और इस साल यह दिन 23 दिसंबर को आ रहा है. पौष अमावस्या एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा किया जाता है.
पितृ दोष से पा सकते हैं छुटकारा
जो व्यक्ति शनि दोष या पितृ दोष से पीड़ित हैं, उनके लिए पौष अमावस्या पूर्वजों और मृत पूर्वजों के श्राद्ध अनुष्ठानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. तिल दान, वस्त्र दान, अन्न दान, पिंड दान या किसी अन्य प्रकार का दान नदी के किनारे, तीर्थ स्थलों और मंदिरों में पूर्वजों का आशीर्वाद लेने के लिए किया जा सकता हैच. ऐसे सभी कार्य विद्वान पुजारियों के मार्गदर्शन में किए जाने चाहिए ताकि वे सही तरीके से किए जाएं और इससे अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके. पौष अमावस्या एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा किया जाता है.
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पौष अमावस्या अनुष्ठान करने और उपवास करने के क्या लाभ हैं?
पौष अमावस्या पर पूजा, प्रार्थना, दान आदि सहित कई अनुष्ठान किए जाते हैं. पौष अमावस्या पर विभिन्न पूजा करने से घातक बीमारियों को खत्म किया जा सकता है और साथ ही स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न गंभीर समस्याओं से भी छुटकारा पाया जा सकता है. इस दिन अकाल मृत्यु को रोकने के लिए व्यक्ति अनुष्ठान करते हैं और पूजा भी करते हैं. यह समृद्धि में सुधार और परिवार में स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ व्यापार को बढ़ावा देने में भी मदद करता है. इस दिन अनुष्ठान करने और व्रत रखने से व्यक्ति को मृत पूर्वजों के साथ-साथ देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.