हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है. पुराणों के अनुसार अगर किसी इंसान का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण नहीं किया जाए तो उसे मुक्ति नहीं मिलती है और वो प्रेत योनि में रह जाता है. इस साल पितृ पक्ष सितंबर 2018 से शुरू होकर 8 अक्टूबर 2018 तक रहेगा. भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष के पंद्रह दिन पितृपक्ष कहे जाते हैं. श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, पंद्रह दिन और 17 दिन का कर्मकांड करते हैं. इस दौरान पूर्वजों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध किया जाता. पौराणिक मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर किया जाने वाला पिंडदान सीधे उन तक पहुंचता है और उन्हें सीधे स्वर्ग तक ले जाता है.
इस दिन करें श्राद्ध
जिस शख्स की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है. यहां महीने से कोई लेना देना नहीं है. जैसे किसी की मृत्यु प्रतिपदा तिथि को हुई, तो उसका श्राद्ध पितृपक्ष में प्रतिपदा तिथि को करना चाहिए. यही नहीं जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए. साथ ही किसी की अकाल मृत्यु यानी गिरने, कम उम्र, या हत्या ऐसे में उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि को ही किया जाता है.
ऐसे करें श्राद्ध
पितृपक्ष में प्रत्येक दिन स्नान करे और इसके बाद पितरों को जल, अर्घ्य दें. इस दौरान तिल, कुश और जौ को जरूर रखें. इसके साथ ही जो श्राद्ध तिथि हो उस दिन पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करें.
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इस दिन घर में उस शख्स की पसंदीदा भोजन बनवाए. इसके बाद पहले गाय, कौवा-पक्षी और कुत्ते को भोजन निकाल दे. सारे व्यंजन में से थोड़ा-थोड़ा निकालकर एक पात्र में लेकर उसे किसी सड़क, चौराहे पर रख दें.
इस मंत्र का करें जाप
इसके बाद किसी बर्तन में दूध, जल, तिल, पुष्प लें. अब हाथ में कुश लें और तिल के साथ तर्पण करें. इस दौरान 'ॐ पितृदेवताभ्यो नमः' का जाप करें.
ब्राह्मण को खाना खिलाएं और दान दें
इसके बाद घर में ब्राह्मण को भोजन कराएं और फिर यथा शक्ति दान दें. फिर अपने पितृदेव को प्रणाम करें.
पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
पितृपक्ष के दौरान तेल, साबुन समेत सुंगध देने वाले पदार्थ का इस्तेमाल ना करें. कोई नया चीज ना खरीदें और ना पहने. कोई भी शुभ काम जैसे शादी, गृहप्रवेश ना करें. ना कुछ बुरा करें और ना सोचें.
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Source : News Nation Bureau