2 सितंबर से इस बार पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का प्रारंभ हो गया है. इस बार कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के चलते लोग पिंडदान (Pinddan) करने के लिए गया, ब्रह्मकपाल, उज्जैन और नासिक जाने से बच रहे हैं. हिंदू धर्म में पितृपक्ष में पितरों के लिए तर्पण (Tarpan) और पिंडदान का अलग महत्व है. लिहाजा इस बार लोग घरों में रहकर ही पितरों का तर्पण और श्राद्ध (Shradha) कर रहे हैं. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं और इसी कारण इस समय दान-पुण्य, श्राद्ध और तर्पण का अलग महत्व है. यह भी कहा जाता है कि तर्पण और श्राद्ध से खुश होकर पितरगण वंश वृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं. 2 सितंबर से शुरू हुआ पितृ पक्ष इस बार 17 सितंबर को खत्म होगा.
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार पवित्र नदी किनारे श्राद्ध और पिंडदान नहीं कराया जा रहा है. आम तौर पर इस दौरान देश-विदेश से लोग कर्मकांड करने आते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है. इसलिए प्रयागराज में ऑनलाइन पिंडदान की भी व्यवस्था की गई है.
अगर आप भी घर से बाहर जाकर पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं तो परेशान होने की बात नहीं है. घर पर रहते हुए तर्पण कर पितरों को खुश किया जा सकता है. तर्पण करने से पहले स्नान करके दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं. हाथ में कुश लेकर जल में काले तिल और सफेद फूल मिलाएं. पितरों को यही जल अर्पित करें. इसके बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें. भोजन का दान करने का अलग महात्म्य है. तर्पण करने वाला व्यक्ति सात्विक आहार ही ग्रहण करेगा. अगर आपके पास दिन में समय नहीं है तो सूर्यास्त के समय तर्पण करें.
Source : News Nation Bureau