हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्व होता है. पूर्वजों को मुक्ति देने वाले पितृ पक्ष का 1 सितंबर से शुरू होगा और 17 सितंबर तक चलेगा. इस साल पितृ पक्ष पर एक खास संयोग बन रहा है जो 19 साल बाद आया है. दरअसल इस साल पितृ पक्ष और नवरात्रि में एक महीने का अंतर होगा. वजह है अधिकमास का होना. दरअसल इस साल नवरात्र और पितृ पक्ष में अधिकामास पड़ रहा है जिसके चलते दोनों में एक महीने का अंतर आ गया है. ऐसा संयोग 19 साल बाद आया है.
दरअसल हर साल पितृ पक्ष खत्म होने के अगले दिन ही नवरात्र शुरू हो जाते थे. लेकिन इस बार पितृ पक्ष शुरू होने के अगले दिन अधिकमास शुरू होगा. ऐसे में चतुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा.
हमारे शास्त्रों मे तिथियों, करण और नक्षत्र को बहुत महत्व दिया जाता है। इनका हमारे पंचाग में भी बड़ा महत्व है. नक्षत्र से जन्म व तिथियों से जन्मदिवस व मृत्यु तिथि (श्राद्ध) व करण से भद्रा का विचार किया जाता है. कहते है जिसकी जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है उन मनुष्य को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है जैसे- शादी में विलंब, घर में शुभ कार्यो का न होना, संतान प्राप्ति में परेशानी, कर्ज होना और घर में आए दिन किसी न किसी का बीमार होना जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
इसलिए उनके लिए ये समयपितृ दोष के निवारण के लिए बहुत ही अच्छा मौका है. पितृदोष की शांति के लिए किसी भी तीर्थ स्थान पर जाकर पितृों के लिए तर्पण करें और दान करना चाहिये.
क्या है पिंडदान और क्या है इसकी महत्ता
हिंदू मान्यता के अनुसार किसी वस्तु के गोलाकर रूप को पिंड कहा जाता है, प्रतीकात्मक रूप में शरीर को भी पिंड माना गया है. पिंडदान के समय मृतक की आत्मा को अर्पित करने के लिए जौ या चावल के आटे को गूंथकर बनाई गई गोलात्ति को पिंड कहते हैं.
कहते हैं कि अगर पितरों की आत्मा को मोक्ष नहीं मिला है, तो उनकी आत्मा भटकती रहती है और उनकी संतानों के जीवन में भी कई बाधाएं आती हैं. इसलिए गया जाकर पितरों का पिंडदान जरूरी माना गया है.
Source : News Nation Bureau