Pitru Paksha 2022 Kunwara Panchami: कुंवारा पंचमी के बिना श्राद्ध का नहीं मिलता पूरा फल, जानें पितृ पक्ष की इन रहस्यमयी तिथियों का महत्व

Pitru Paksha 2022 Kunwara Panchami: आश्विन माह में श्राद्ध के दौरान पड़ने वाली पंचमी तिथि को कुंवारा पंचमी के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा और भी कई तिथियां हैं जो श्राद्ध में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

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Gaveshna Sharma
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Pitru Paksha 2022 Kunwara Panchami

कुंवारा पंचमी के बिना श्राद्ध का नहीं मिलता पूरा फल, जानें इसका महत्व ( Photo Credit : News Nation)

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Pitru Paksha 2022 Kunwara Panchami: आश्विन माह में श्राद्ध के दौरान पड़ने वाली पंचमी तिथि को कुंवारा पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध करने का नियम जो या तो अविवाहित होते हैं या फिर इस तिथि पर ही मृत्यु की कोक में समा चुके होते हैं. इस बार पितृ पक्ष के दौरान यह तिथि 14 सितंबर, दिन बुधवार से शुरू होकर 15 सितंबर, दिन गुरुवार यानी कि आज दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. चूंकि श्राद्ध कर्म दोपहर के समय किया जाता है ऐसे में कुंवारा पंचमी का श्राद्ध आज के दिन किया जाना ज्योतिष गणना के मुताबिक उचित रहेगा. ऐसे में आइए जानते हैं श्राद्ध के दौरान पड़ने वाली कुंवारा पंचमी के महत्व के बारे में.  

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पितृ पक्ष 2022 कुंवारा पंचमी का महत्व (Pitru Paksha 2022 Siginificance Of Kunawara Panchami)
जिन लोगों की मृत्यु बचपन में ही हो जाती है या फिर जो लोग अविवाहित ही मर जाते हैं ऐसे लोगों का श्राद्ध पितृ पक्ष की पंचमी तिथि अर्थात कुंवारा पंचमी के दिन किये जाने का विधान है. इसके अतिरिक्त, शास्त्रों और ज्योतिष जानकारों के अनुसार, जो लोग किसी भी माह के कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष में मृत्यु को प्राप्त होते हैं उनका श्राद्ध भी इसी तिथि पर होना चाहिए.  
 
बता दें कि, इसके अलावा और भी कई तिथियां हैं जो श्राद्ध में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं उन अन्य तिथियों के बारे में. 

पितृ पक्ष 2022 मातृनवमी का महत्व (Pitru Paksha 2022 Siginificance Of Matri Navami) 
पितृ पक्ष की नवमी तिथि मातृनवमी के कहलाती है. इसे सौभाग्यवती नवमी या सौभाग्यवती श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. इस बार पितृ पक्ष की यह तिथि 19 सितंबर को पड़ रही है. जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस तिथि पर उन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है जो सुहागिन ही परलोक सिधार जाती हैं. 

पितृ पक्ष 2022 द्वादशी श्राद्ध का महत्व (Pitru Paksha 2022 Siginificance Of Dwadashi Tithi) 
पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि बहुत पावन मानी जाती है क्योंकि इस दिन उन लोगों का श्राद्ध करने का नियम है जो परिवार को त्याग कर संन्यास धारण करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हुए हों. यही कारण है कि इस तिथि को संयासीनां श्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है. इस साल यह तिथि 22 सितंबर, दिन गुरुवार को पड़ रही है. 

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पितृ पक्ष 2022 चतुर्दशी श्राद्ध का महत्व (Pitru Paksha 2022 Siginificance Of Chaturdashi Tithi)
चतुर्दशी तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से उन लोगों की आत्मा को शान्ति मिलती है जिनकी मृत्यु असाधारण हो. यानी कि वह लोग जो किसी दुर्घटना में या किसी अस्त्र शस्त्र से मारे गए हों. ऐसे लोग अकाल मृत्यु के भागी माने जाते हैं और इनके श्राद्ध के लिए शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि को ही उचित माना गया है. इस साल चतुर्दशी तिथि 24 सितंबर को पड़ने वाली है.    

पितृ पक्ष 2022 अमावस्या श्राद्ध का महत्व (Pitru Paksha 2022 Siginificance Of Amavasya Tithi)     
पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि 25 सितंबर, दिन रविवार को है. यह तिथि सर्वपितृ विसर्जन श्राद्ध और महालया के नाम से भी जानी जाती है. अमावस्या तिथि का पितृ पक्ष में गूढ़ और सर्वश्रेष्ठ महत्व है जिसके पीछे का कारण यह है कि इस दिन श्राद्ध के दौरान धरती पर आए पितृ अपने अपने परिवार को आशीर्वाद देने के बाद पुनः लौटकर अपने लोक चले जाते हैं. माना जाता है कि इस दिन ब्राह्मण भोज से भी पितृ प्रसन्न होकर अपने बच्चों पर कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं. 

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