Pitru Paksha 2024: इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू हो चुके हैं और 2 अक्टूबर 2024 को इसका समापन होगा. शास्त्रों में इसका बहुत अधिक महत्व बताया गया है. इस दौरान परिजन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान करते हैं. ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. यह परंपरा रामायण काल से चली आ रही है. आमतौर पर घर का बड़ा बेटा ही यह अनुष्ठान करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान राम के होते हुए माता सीता को अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान क्यों करना पड़ा? ऐसे में आइए जानते हैं वाल्मिकी रामायण के अनुसार उन्होंने ऐसा क्यों किया.
पिंडदान का महत्व
पिंडदान का महत्व बहुत गहरा है. इसे करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. वाल्मिकी रामायण के अनुसार, रामायण में जब राजा दशरथ का निधन हुआ, तो भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता वनवास पर थे. उनके पिता के निधन की सूचना मिलने पर वे उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने गया पहुंचे. वहां उन्होंने श्राद्ध की तैयारियां शुरू कीं. लेकिन तभी पंडित जी ने अनुष्ठान के लिए कुछ जरूरी सामग्री बताई जिसके बाद प्रभु राम और उनके भाई लक्ष्मण सामग्री लाने निकल पड़े.
हालांकि पंडित जी द्वारा बताई गई सामग्री लाने में थोड़ी देर हो गई और इस बीच श्राद्ध का समय निकलता जा रहा था. ऐसे में माता सीता ने फल्गु नदी, वटवृक्ष, केतकी फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाया और राजा दशरथ का पिंडदान किया. इस पिंडदान से राजा दशरथ की आत्मा को शांति मिली और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ. यह घटना यह दर्शाती है कि महिलाएं भी पिंडदान कर सकती हैं, जैसा कि माता सीता ने किया.
क्या महिलाओं का श्राद्ध करना चाहिए?
गरुड़ पुराण में पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान की विधियों का वर्णन है. आमतौर पर यह कर्म बड़े या छोटे पुत्र द्वारा किए जाते हैं, लेकिन अगर वे उपलब्ध नहीं होते, तो कुछ विशेष परिस्थितियों में महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार, जिन परिवारों में पुत्र नहीं होते, वहां बेटियां अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर सकती हैं. इसके अलावा, यदि पुत्र अनुपस्थित हो, तो उसकी पत्नी भी पितरों के लिए श्राद्ध कर सकती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)