Vastu Tips: घर में भगवान की पूजा, उपासना सभी लोग नियम से करते ही हैं. आज जगह का अभाव हो गया है, लेकिन फिर भी हर घर में एक मंदिर देखने को जरूर मिलता है. छोटा सा छोटा घर हो, वहां पर भी आपको पूजा का स्थान जरूर मिल जाएगा, क्योंकि इससे हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. चाहे आप किराये के घर में रहे या अपने घर में रहें अपने अपने जगह की अवेलेबिलिटी के अनुसार हर इंसान पूजा पाठ जरूर करता है. लेकिन, घर में पूजा स्थान का सही जगह पर होना बहुत आवश्यक होता है. हम चाहे वास्तु की दृष्टि से देखें या तांत्रिक दृष्टि से देखें हमारे घर का जो पूजा का स्थल होता है वो हमारे जीवन पर पॉज़िटिव और नेगेटिव असर डालता है.
मंदिर में सूर्य की रोशनी का महत्व
सबसे पहले यह बात जरूर ही होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी आपके पूजा स्थल तक जरूर पहुंचती हो. अगर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती है तो आप भगवान सूर्य नारायण का चित्र अपने मंदिर में अवश्य लगा लें. इससे क्या होगा? अदृश्य रूप से आपके घर के मंदिर में सूर्य की रोशनी पड़ती है और नकारात्मक ऊर्जा का आभास भी नहीं होता. हमारी पूजा भी सफल होती है.
पूजा के समय किस ओर मुख करें ?
पूजा करते समय आपका मुख किस दिशा में हो, भगवान की प्रतिमा का मुख किस दिशा में हो ये भी विशेष रूप से अगर ध्यान रखा जाए तो सही फलों की प्राप्ति कराता है. वैसे तो हम क्या मानते है की किसी भी स्थान में किसी भी दिशा में भक्ति भाव से अगर हम पूजन करें तो वो सफल होता है लेकिन जब हम वास्तु की बात करते है तो मकान के जो उत्तर पूर्व दिशा में होता है स्थान वो सबसे सर्वोत्तम माना गया है. इस स्थान पर पूजा स्थल होने से माना जाता है कि घर में शांति बनी रहती है, सुकून होता है. धन, प्रसन्नता और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है.
उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर का महत्व
उत्तर पूर्व दिशा का महत्त्व बताते हुए वास्तु में कहा जाता है कि जब वास्तु भगवान को धरती पर लाया गया था. तो उनका शीर्ष यानी उनका मस्तक उत्तर पूर्व दिशा में था. इसलिए इस दिशा को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. और ये दिशा और भी इम्पोर्टेन्ट क्यों है? क्योंकि सूर्य की पवित्र किरणें भी हमें इसी दिशा से मिलती है जो कि हमारे घर में वहां की पूजा स्थल के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है.
ज्वाइंट फैमिली वाले इस दिशा में रखें मंदिर
ईशान कोण वैसे भी देवताओं का स्थान माना गया. ईशान कोण यानी नॉर्थ ईस्ट कार्नर ऑफ़ दी हॉउस भगवान शिव का वास होता है. देवगुरु बृहस्पति केतु की दिशा भी ईशान कोण बताई गई है और इसीलिए इस कोण को पूजा पाठ के लिए अध्यात्म के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. किस्मत के धनी होते हैं वो लोग जिनका मंदिर ईशान कोण में होता है साक्षात भगवान की कृपा बरसती है. देवी देवताओं की कृपा बरसती है. ईश्वर खुशी से प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं.
ध्यान रखें, अगर पूजा रूम एक जगह हो, आप एक ही रूम में हो लेकिन उसको हमेशा आपको ढक कर रखना चाहिए. समय-समय पर जैसे आप उठते हैं, वैसे भगवान के मंदिर को खोले. जैसे आप सोते हैं वैसे ही भगवान को सयन कराएं. इस प्रकार से आपको उनकी देखभाल करनी चाहिए, नहीं तो दोषकारक परिणाम प्राप्त होते हैं. कुछ लोग क्या करते हैं? पूजा घर के आसपास गंदगी रखते हैं. पर्दा लगा दिया, भूल गए भगवान को खोला नहीं चारों तरफ वातावरण में शोरगुल होता रखता है. ऐसा पूजा रूम दोष होता है, चाहे वो वास्तु सम्मत क्यों ना हो लेकिन ऐसे स्थान पर आकाश तत्व और वायु तत्व प्रदुषित हो जाते हैं जिसके कारण इस पूजा कक्ष में बैठकर पूजन करने वाले व्यक्ति की एकाग्रता भंग होती है और पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होता. इसलिए जब भी आप पूजा करने बैठे ध्यान रखें आपके आसपास के वातावरण में शांति हो तभी पूजन करने आपको बैठना चाहिए.
यह भी पढ़ें: Eating Food on Bed: बिस्तर पर बैठकर करते हैं भोजन? रुक जाएगी तरक्की, पैसों से भी हो जाएंगे कंगाल!
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau