हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो बार त्रयोदशी (pradosh 2022) की तिथि पड़ती है. एक तिथि शुक्ल पक्ष की और वहीं दूसरी कृष्ण पक्ष में पड़ती है. हर महीने की दोनों त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को ही समर्पित होती है. इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ के लिए पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से शिव जी (2022 pradosh vrat) प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन को सुख-शांति से भर देते हैं. जो भी श्रद्धालु नियम और निष्ठा से इस प्रदोष व्रत (pradosh vrat 2022) को रखते हैं. भोलेनाथ उनके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं. तो, चलिए आपको इस दिन के रखे जाने वाले व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताते हैं.
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प्रदोष व्रत की तिथि
वैशाख के महीने में इस बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अप्रैल को है. 28 अप्रैल (pradosh vrat 2022 dates) को गुरुवार का दिन होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन प्रदोष मुहूर्त में ही पूजा की जाएगी.
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प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अप्रैल को रात 12 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो रही है. जो 29 अप्रैल को 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को रखा जाएगा. इस दिन ही भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना की जाएगी. इस दिन की पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट (pradosh vrat 2022 shubh muhurat) तक है.
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प्रदोष व्रत की पूजा विधि (pradosh vrat 2022 puja vidhi)
प्रदोष व्रत के दिन सुबह-सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद इसके बाद भोलेनाथ को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प करें. इसके बाद दिन में भगवान शिव का मनन एवं कीर्तन करते हुए शाम के समय एक बार फिर स्नान करें. फिर, शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें. सूर्यास्त के समय प्रदोषकाल में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें. पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं. उसके बाद सफेद चंदन का लेप जरूर लगाएं. भगवान भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें.
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इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें. पूजा के बाद शिव चालीसा, गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें. इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद (pradosh vrat 2022 pooja vidhi) मिलता है.