Pradosh Vrat 2023 : इस साल चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. यह व्रत रविवार के दिन है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने व्यक्ति को सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है. अब ऐसे में रवि प्रदोष व्रत के दिन पंचक भी लगा रहा है. इसी के साथ 3 शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे, कि प्रदोष व्रत कब है, पूजा मुहूर्त क्या है, साथ ही दिन कौन से 3 शुभ योग का निर्माण हो रहा है और प्रदोष व्रत का महत्व क्या है.
चैत्र प्रदोष व्रत कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दिनांक 19 मार्च दिन रविवार को सुबह 08: 07 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 20 मार्च दिन सोमवार को सुबह 04:55 मिनट तक रहेगा. प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम को की जाती है. यह चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत है.
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जानें क्या है प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त
दिनांक 19 मार्च को शाम 06:31 मिनट से लेकर रात 08:54 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए.
प्रदोष व्रत के दिन बन रहा है 3 शुभ योग
चैत्र माह के पहला प्रदोष व्रत में 3 शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन सिद्ध योग, द्विपुष्कर योग, साध्य योग बन रहा है. ये तीनों योग बेहद ही शुभ है.
प्रदोष व्रत के दिन पंचक और भद्रा का साया
दिनांक 19 मार्च को पंचक और भद्रा का साया रहेगा. इस दिन पंचक सुबह 11 बजकर 17 मिनट से लेकर पूरे दिन लग रहा है. वहीं भद्रा की बात की जाए, तो भद्रा सुबह 04 बजकर 55 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.
जानें क्या है प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन व्रत रखें और संध्या के समय भगवान शिव की पूजा करें. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से आरोग्य के सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और आयु में वृद्धि होती है.
HIGHLIGHTS
- कब है प्रदोष व्रत
- जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
- इस दिन बन रहे हैं 3 शुभ योग