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Budh Pradosh Vrat Katha: बुध प्रदोष व्रत पर जरूर करें इसका पाठ, शिव जी आपकी सारी मुरादें पूरी करेंगे!

Budh Pradosh Vrat Katha: बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद ये व्रत कथा जरूर पढ़ें वरना इससे आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी.

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Sushma Pandey
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Budh Pradosh Vrat Katha

Budh Pradosh Vrat Katha( Photo Credit : social media)

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Budh Pradosh Vrat Katha:  प्रदोष व्रत, भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में त्रयोदशी तिथि को किया जाता है.  प्रदोष का अर्थ है "अपराह्न" या "संध्याकाल".  यह वह समय होता है जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विश्राम करते हैं. इस व्रत को करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.  मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कुंडली में मौजूद ग्रहों के दोष दूर होते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल और उत्तम तरीका है.  इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के बाद ये व्रत कथा जरूर पढ़ें वरना इससे आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी. आइए यहां पढ़ें बुध प्रदोष व्रत की पूरी व्रत कथा. 

प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं

प्रदोष व्रत के दिन फल, फलाहार, कुट्टू का आटा, साबूदाना, दूध, दही आदि का सेवन कर सकते हैं. वहीं, इस दिन नमक, अनाज, मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन गलती से भी न करें. इस बात का ध्यान रखें की प्रदोष व्रत पूरे मन और श्रद्धा से ही करें.  व्रत के दौरान क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से बचना चाहिए. इस दिन दान का भी विषेश महत्व है. मान्यता है कि दान करने से पुण्य प्राप्त होता है. 

प्रदोष व्रत कथा

प्रदोष व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख भगवान विष्णु और चंद्रदेव की कथा है. एक बार भगवान विष्णु और चंद्रदेव कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के दर्शन करने गए.  रास्ते में उनकी मुलाकात वृषभासुर नामक राक्षस से हुई.  राक्षस ने उन पर आक्रमण कर दिया.  भगवान विष्णु और चंद्रदेव ने उससे युद्ध किया, लेकिन राक्षस बहुत शक्तिशाली था.  हारते-हारते वे भगवान शिव की शरण में गए.  भगवान शिव उस समय समाधि में थे. भगवान विष्णु और चंद्रदेव ने भगवान शिव की पूजा अर्चना शुरू कर दी.  पूजा करते- करते त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल हो गया.  भगवान शिव समाधि से जागे और उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु और चंद्रदेव उनकी पूजा कर रहे हैं.  भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने वृषभासुर का वध कर दिया. भगवान विष्णु और चंद्रदेव ने भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा.  भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत करेगा, उसे उनकी कृपा प्राप्त होगी. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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