Pradosh Vrat 2024 Upay: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है और इस व्रत में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. खासतौर पर जब प्रदोष व्रत पितृ पक्ष में आता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. इसके बाद 30 सितंबर को भद्राकाल लग जाएगा, जिसका समापन 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर होगा.
प्रदोष व्रत के उपाय
1. तनाव से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करें. पूजा के बाद माथे पर तिलक लगाएं. इससे भगवान शिव की कृपा से जीवन के तनाव और परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
2. भगवान शिव की कृपा
शुभ मुहूर्त में शिवलिंग पर जल, तिल और शमी के पत्ते चढ़ाएं और शिव चालीसा का पाठ करें. यह उपाय सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है.
3. गरीबी से छुटकारा
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर केसर और शक्कर अर्पित करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और जीवन में खुशहाली आती है.
4. मान-सम्मान में वृद्धि
समाज में मान-सम्मान बढ़ाने के लिए शिवलिंग का दही से अभिषेक करें और चंदन लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की भक्ति से पूजा करनी चाहिए और निराहार रहकर व्रत रखना चाहिए. इस दिन क्रोध, लोभ और मोह से बचना चाहिए. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है. गरीबों को कपड़े, खाना, फल आदि दान करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)