Pran Pratishtha of Ram Temple in Ayodhya: आज 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. सोमवार का दिन भगवान राम को समर्पित होता है ऐसे में भगवान राम और भगवान शिव के रिश्ते के बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम शिव भक्त थे. उनके जीवन में ऐसा कई बार हुआ जब उन्होंने भगवान शिव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया और अपनी मनोकामना सिद्ध की . भगवान राम ने अपने जीवन के कई समयों पर भगवान शिव की पूजा की थी, जैसा कि हिन्दू धर्म के पुराणों और कथाओं में भी पढ़ने को मिलता है. वैसे कुछ धार्मिक ग्रंथों, कथाओं, और पुराणों में इनकी मित्रता की पौराणिक कहानियां भी प्रचलित हैं. एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान राम ने भगवान शिव की उपासना करते हुए रामसेतु नामक तीर्थस्थल पर अपने अनुयायियों के साथ शिवपूजा की थी। राम ने एक शिवलिंग का पूजन किया था और वहां भगवान शिव की कृपा प्राप्त की थी. इसके बाद, भगवान शिव ने राम को आशीर्वाद दिया और उनके साथ मित्रता की शपथ खाई. इस मित्रता का मार्गदर्शन हमें यह सिखाता है कि भक्ति और सेवा के माध्यम से ही दिव्य मित्रता की प्राप्ति हो सकती है. भगवान राम और भगवान शिव की यह मित्रता सदैव हमें सत्य, धर्म, और प्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है. राम भगवान शिव के अद्वितीय भक्त थे. रामायण में दरबार स्थापित होने से पहले, भगवान राम ने अपने गुरु वशिष्ठ के सुन्दर आश्रम में गए थे और वहां विभिन्न विद्याओं का अध्ययन किया था. राम ने अपने जीवन के कई स्थानों पर भगवान शिव की पूजा की और उनके आदर्शों का पालन किया. राम ने शिवतान्त्र मंत्रों का जाप किया और अपने भक्ति भाव से भगवान शिव को प्रसन्न किया. श्रीराम का भक्तिभाव और शिवपूजा में उनकी निष्ठा धार्मिक ग्रंथों में प्रशंसा के पात्र हैं. इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि भक्ति का मार्ग सर्वधर्म समर्थन और भगवान के प्रति श्रद्धा के साथ चलना होता है.
रामसेतु पूजा: भगवान राम ने लंका पर सीता माता को मुक्ति दिलाने के लिए रामसेतु नामक तीर्थस्थल पर शिवलिंग की पूजा की थी. उन्होंने वहां भगवान शिव को उपासना करते हुए शिवपूजा की और उनकी कृपा प्राप्त की थी.
अगस्त्य ऋषि के साथ: राम ने अगस्त्य ऋषि के साथ भगवान शिव की पूजा की थी. अगस्त्य ऋषि ने राम को शिवस्तोत्र सीखाया और उन्हें शिव की कृपा प्राप्त हुई.
रावण संहार: भगवान राम ने लंका युद्ध में रावण को सम्भालने के लिए शिवधनुष्ट्र प्राप्त करने के लिए शिवपूजा की थी. इस पूजा के बाद, उन्होंने ब्रह्मास्त्र का आद्यात्मिक रहस्य प्राप्त किया और रावण का संहार किया.
इन घटनाओं से प्रकट होता है कि भगवान राम ने अपने जीवन में कई समयों पर भगवान शिव की पूजा और उनके आदर्शों का पालन किया था.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau