Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के भक्त विश्वभर में मौजूद हैं. हाल ही में हुए एक सत्संग में प्रेमानंद जी महाराज ने जो कहा उसे सुनकर कई पाकिस्तानियों के कान खड़े हो जाएंगे. उन्होने पाकिस्तान को अपने घर का हिस्सा बताते हुए वहां से आए एक भक्त से कहा कि पाकिस्तान हमारा ही घर है, दूर का कोई देश नहीं. उनका ये बयान इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है. लोग इस बात के कई मतलब निकाल रहे हैं. दरअसल में कुछ समय पहले पाकिस्तान से एक पुरुष और एक महिला उनके आश्रम में उनके दर्शन करने आए थे. वृंदावन में रहने वाले प्रेमानंद जी महाराज का सत्संग इंटरनेट पर खूब वायरल होता है. ऐसे में मोबाइल पर सत्संग सुनना सही है या गलत इस बात पर भी उनके सत्संग में चर्चा हुई.
पाकिस्तान से आए भक्त ने उनसे पूछा "मोबाइल पर सत्संग सुनने से क्या मोबाइल में ही भगवान मिलेंगे?" पाकिस्तान में रहते हुए हम राधा माधव की सेवा और हरि नाम जप तो कर ही रहे हैं, लेकिन साधु संगति का लाभ नहीं मिल पाता. मगर, टेक्नोलॉजी के इस युग में मोबाइल के जरिए हम साधु संगति का आनंद ले सकते हैं. यह कलयुग का बहुत बड़ा सौभाग्य है.
इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि आप सोच रहे होंगे कि अगर हम भारत आ जाते तो रोज सत्संग में आ जाते. लेकिन मोबाइल के जरिए आप रोज ही सत्संग सुन सकते हैं, जैसे कि अभी आप मेरे सामने बैठे हैं. इसलिए मैंने अनुमति दी है कि आप लोग मोबाइल पर सत्संग, आरती और पूजा देख सकें. मान लीजिए कि आप रोज साधु संग में बैठे हैं और मैं आपसे बात कर रहा हूं.
पाकिस्तान हमारा ही घर है, दूर का कोई देश नहीं. अमेरिका में बैठे लोग भी इस सौभाग्य का लाभ ले रहे हैं. मोबाइल के जरिए आप घर बैठे वृंदावन का आनंद ले सकते हैं. बस, मोबाइल के नुकसान से बचिए.
कई बार बच्चे मोबाइल के कारण बर्बाद हो जाते हैं. आपको लग सकता है कि साधु संगति ना मिलने से आपका जीवन व्यर्थ जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है. मोबाइल से आप साधु संगति का लाभ उठा सकते हैं. आप टीवी पर सत्संग देख सकते हैं और भाव से सुन सकते हैं. आपको उतना ही लाभ मिलेगा जितना कि आप किसी मंदिर में बैठकर सुनते हैं.
कुछ लोग कहते हैं कि मोबाइल पर सत्संग सुनने से मोबाइल में ही भगवान मिलेंगे, यह बिल्कुल गलत है. जब आप सत्संग सुनते हैं तो आपके मन में परिवर्तन होता है, मोबाइल में नहीं. आप भी पाकिस्तान से हैं और आपने सत्संग सुनकर बहुत कुछ सीखा है. इसलिए दूसरों को भी सत्संग सुनने के लिए प्रेरित करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)