Premanand Ji Maharaj: पति-पत्नी का रिश्ता भरोसा, प्रेम और सम्मान की डोर से जुड़ा होता है. इस रिश्ते को बनाए रखने के लिए दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं, पसंद-नापसंद का ख्याल रखना जरूरी है. भावनात्मक और शारीरिक संबंध भी इस रिश्ते का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी अच्छे होने चाहिए. लेकिन कई बार किसी एक की शारीरिक संबंधों में रुचि कम हो जाती है और वह ब्रह्मचर्य का संकल्प ले लेता है. यानी अगर कोई एक पार्टनर भी ब्रह्मचर्य का संकल्प ले लेता है तो ऐसे में वह शारीरिक संबंध नहीं बना पाते हैं. हालांकि इसको लेकर कई बार रिश्ते में तनाव आ जाते हैं खासकर जब दूसरा साथी इसके लिए सहमत न हो. ऐसे में ऐसी परिस्थिति में पति-पत्नी को क्या करना चाहिए इसका जवाब प्रेमानंद महाराज से जानिए.
पति की काम-वासना से कैसे बचें?
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे के अनुकूल चलना चाहिए और अपने साथी की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. अगर पत्नी ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहती है तो उसे अपने पति को प्यार से समझाना चाहिए कि वह ऐसा क्यों करना चाहती है. वहीं, पति को भी इस स्थिति को समझकर अपनी पत्नी की भावनाओं का आदर करना चाहिए. अगर पति नहीं मानते तो पत्नी को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कहीं उनके ब्रह्मचर्य के संकल्प से पति गलत राह न पकड़ ले, क्योंकि इससे उनके वैवाहिक जीवन में मुश्किलें आ सकती हैं.
प्रेमानंद महाराज के विचार
प्रेमानंद महाराज जी का मानना है कि पति-पत्नी के रिश्ते को बचाने के लिए दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं को समझना चाहिए. अगर किसी एक को ब्रह्मचर्य का पालन करना है तो यह जरूरी है कि वे एक-दूसरे के विचारों और भावनाओं को समझें और सम्मान दें. इस प्रकार पति-पत्नी को आपसी संवाद और समझदारी से अपने रिश्ते को मजबूत बनाना चाहिए ताकि दोनों के बीच प्रेम और सम्मान बना रहे.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)