अजमेर के अंतिन मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की म्यांमार के रंगून, स्थित मजार पर 23 नवंबर को 157वां उर्स आयोजित किया जाएगा. इस मौके पर दरगाह कमेटी, दरगाह ख्वाजा साहब, अजमेर की ओर से तैयार की गई चादर शरीफ को पेश किया जाएगा. अजमेर जिला कलक्टर विश्व मोहन शर्मा, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त सत्तार खान एवं अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) सुरेश सिंधी ने सिविल लाईन्स स्थित ख्वाजा मॉडल स्कूल में चादर को प्रर्दशित किया.
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इस मौके पर जिला कलक्टर ने कहा कि यह न सिर्फ राज्य के लिए बल्कि अजमेर जिले के लिए सौभाग्य की बात है कि पूरे भारत में चादर को तैयार करने का गौरव अजमेर को मिला. इसके लिए शर्मा ने दरगाह कमेटी को बधाई दी के उनके साझा प्रयास से यह कार्य हो पाया है.
अतिरिक्त जिला कलेक्टर (शहर) सुरेश सिंधी ने तैयार की गई चादर में राजस्थानी कला को शामिल करने के लिए दरगाह कमेटी को साधुवाद दिया और कहा कि राजस्थान महक अब रंगून में भी महकेगी.
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वहीं नाज़िम शकील अहमद ने इसे अजमेर से रंगून के रिश्तों का एक नया सूत्र बताया. इस अवसर पर सहायक नाज़िम डॉ आदिल, प्राचार्य राजीव अरोड़ा एवं अन्य कर्मचारी मौजूद रहे.
रंगून में भारतीय दूतावास के द्वारा 11 नवंबर 2019 को बहादुर शाह जफर की मज़ार पर गए थे. वहां पर बहादुर शाह जफर की मजार के उर्स सेलिबे्रशन कमेटी के अध्यक्ष द्वारा ख्वाहीश जाहिर की गई.
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इस बार 23 नवंबर को बहादुर शाह जफ़र के 157वें उर्स के अवसर पर अजमेर दरगाह शरीफ से चादर को मंगवाया जाएं. जिसके क्रम में रंगून एम्बेसी द्वारा अजमेर जिला कलेक्टर एवं दरगाह कमेटी से सम्पर्क स्थापित कर चादर को तैयार करवाया गया. चादर को रविवार के दिन दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के सुपुर्द किया जाएगा.
इस बार तैयार की गई चादर का कुल वजन 2 किलो 600 ग्राम है। जिसे नांरगी और नीले रंग के बनारसी सिल्क के कपड़ें पर राजस्थानी बंधेज का कार्य किया गया है। चादर शरीफ 6 फिट चौड़ी, 8 फिट लम्बाई और 18 इंच ऊंची है। चादर शरीफ के बीच के हिस्से में उभार के लिए जहां सतह पर फोम का प्रयोग किया गया हैं.
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वहीं बीच बीच में सुन्दर मोतीयों से इसे सजाया गया, कौनों व बीच में गोटे का कार्य किया गया है. वहीं सुन्दरता के लिए बीच बीच में सफेद फूलों से इसे सजाया गया हैं. इस चादर को लौंगिया निवासी मोहम्मद लियाक़त अली ने तैयार किया है.