Ganesh Temple: गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है. उनकी सूंड दाईं ओर है ये फिर बाईं ओर है इसका प्रभाव पूजा और मनोकामना की पूर्ति पर भी पड़ता है. लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां बिना सूंड वाली गणपति की मूर्ति विराजमान है. ये प्राचीन मंदिर भारत में इतना प्रसिद्ध है कि हर साल लाखों श्रद्धालू दूर-दूर से यहां माथा टेकने आते हैं. ये मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर में है. गढ़ गणेश के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का इतिहास क्या है आइए जानते हैं.
राजस्थान के गढ़ गणेश मंदिर का इतिहास
इतिहास के जानकारों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार गढ़ गणेश मंदिर महाराजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था. नाहरगढ़ की पहाड़ी पर अश्वमेघ यज्ञ करवा कर गणेश जी के बाल स्वरूप वाली इस प्रतिमा की स्थापना करीब 350 साल पहले करवायी गयी थी. कहते हैं इस मंदिर की स्थापना के बाद ही जयपुर शहर की नींव रखी गयी थी. इस मंदिर के शीर्ष से पूरा जयपुर शहर एकसाथ देखा जा सकता है. मंदिर में गणपति की प्रतिमा को इस तरह स्थापित किया गया है कि इसे सिटी पैलेस के इंद्र महल से आप दूरबीन से साफ देख सकते हैं. कहते हैं इंद्र महल से महाराजा दूरबीन से भगवान के दर्शन किया करते थे.
इस मंदिर के निर्माण में सीढ़ियों की भी एक कहानी है. गढ़ गणेश मंदिर में 365 सीढ़ियां हैं कहते हैं जब मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है तो एक दिन में एक सीढ़ी का निर्माण किया जाता था और इस तरह से इन सीढ़ियों का काम 365 दिन यानि एक साल में पूरा हुआ. जब आप मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो आप ये सारी सीढ़ियां चढ़ते हैं. इश तरह से आप भगवान की 12 महीने 365 दिनों की आराधना एक ही दिन में कर लेते हैं.
गढ़ गणेश के मंदिर की ओर जाते समय रास्ते में शिव भगवान का एक प्राचीन मंदिर भी आता है जिसमें वो अपने परिवार के साथ विराजमान हैं. कहते हैं अगर आप इस मंदिर में होते हुए भगवान गणेश के दर्शन करने जाते हैं तो गढ़ गणेश मंदिर में मांगी हर मनोकामना जल्द पूरी होती है. इस मंदिर में गणेश के बालरूप को पूजा जाता है जिस वजह से इनकी सूंड नहीं है. ये भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमे गणेश जी बिना सूंड के विराजमान हैं.
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गढ़ गणेश मंदिर के परिसर में दो चूहे स्थापित है जिनके कान में भक्त अपनी मनोकामना बताते हैं मान्यता है कि चूहे उन इच्छाओं को बाल गणेश तक पहुंचाते है. जिससे भक्तगणों की हर मुराद पूरी होती है. सच्चे मन से मांगी हर मुराद पुरी होने का दावा यहां आए कई भक्त करते हैं.
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