भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र माना जाता है और इस प्यार का साक्षी होता है राखी का त्यौहार. इस बार भाई-बहन का प्रेम भरा त्यौहार रक्षाबंधन (Rakshabandhan) 3 अगस्त को मनाया जाएगा. इसी दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है इसलिए इस बार राखी (Rakhi 2020) का त्यौहार और भी खास है. बता दें कि रक्षाबंधन के दिन बहने प्यार से अपने भाई की कलाई पर रेशम के डोर से बनी राखी को बांधती हैं. राखी सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि बहन का विश्वास होता है कि उसका भाई ऐसा ही ताउम्र साथ रहेगा.
राखी के दिन बहन अपने भाईयों को तिलक भी लगाती हैं.इसके साथ ही तिलक पर चावल लगाने का भी रिवाज हैं. लेकिन आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है. शास्त्रों में कुमकुम के तिलक और चावल का अत्याधिक महत्व हैं. आइए जानिए तिलक और उसके ऊपर चावल लगाने का कारण.
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इसलिए लगाया जाता है तिलक
राखी के पावन अवसर पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं. शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है पर रक्षाबंधन के दिन कुमकुम से ही तिलक किया जाता है. कुमकुम के तिलक के साथ चावल का प्रयोग भी किया जाता है.
यह तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक है. तिलक मस्तक के बीच में लगाया जाता है. यह स्थान छठी इंद्री का है. इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि अगर शुभ भाव से मस्तक के इस स्थान पर तिलक के माध्यम से दबाव बनाया जाए तो स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता, बौद्धिकता, तार्किकता, साहस और बल में वृद्धि होती है.
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राखी के दिन तिलक पर इसलिए लगाते है चावल
कहते हैं चावल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. शास्त्रों के मुताबिक, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है. कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है. चावल से हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है.
Source : News Nation Bureau