भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र माना जाता है और इस प्यार का साक्षी होता है राखी का त्यौहार. इस बार भाई-बहन का प्रेम भरा त्यौहार रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा. इसी दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है इसलिए इस बार राखी का त्यौहार और भी खास है. बता दें कि रक्षाबंधन के दिन बहने प्यार से अपने भाई की कलाई पर रेशम के डोर से बनी राखी को बांधती हैं. राखी सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि बहन का विश्वास होता है कि उसका भाई ऐसा ही ताउम्र साथ रहेगा.
रक्षाबंधन हर धर्म से ऊपर होता है, इसे हिंदु ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी मनाते हैं. राखी से जुड़ी एक नहीं बल्कि कई कहानियां हैं और ये सभी अपने आप में काफी विविध हैं. रक्षाबंधन के इतिहास में मुस्लिम से लेकर वो लोग भी शामिल हैं जो सगे भाई-बहन नहीं थे.
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1. श्रीकृष्ण और द्रोपदी की कहानी
जब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था उनकी अंगुली में चो आ गई थी. इसके बाद द्रोपदी साड़ी फाड़कर कृष्ण की अंगुली पर पट्टी बांध दी थी. उस दिन भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी. मान्यता है कि इसी के बाद से इस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है.
2. कर्मावती और हुमायूं की कहानी
राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी, इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा. राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है. कहते हैं, मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली. रानी लड़ने में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा की याचना की. हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंच कर बहादुरशाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की.
3. सिकंदर की पत्नी और पुरू की कहानी
सिकंदर को युद्ध के दौरान जीवनदान भी इस राखी के चलते ही मिला था. दरअसल सिकंदर की पत्नी ने पुरुवास उर्फ राजा पोरस को राखी बांधकर भाई बना लिया था और वचन लिया कि वो उनके पति की रक्षा करेंगे. इसके बाद राजा पोरस ने युद्ध के दौरान सिकंदर को जीवन दान दे दिया.