Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन एक विशेष हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को मनाने का अवसर प्रदान करता है. यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त में आता है. भारत और नेपाल में यह त्योहार बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन अब भारतीयों के विदेशों में बस जाने से भी इसे मनाया जाने लगा है. ‘रक्षाबंधन’ शब्द दो भागों से बना है: ‘रक्षा’ और ‘बंधन. ‘रक्षा’ का मतलब होता है सुरक्षा, और ‘बंधन’ का मतलब होता है बंधन. इसलिए, रक्षाबंधन का मतलब होता है ‘सुरक्षा का बंधन’. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे अपनी सुरक्षा का वादा लेती हैं. इसके बदले में भाई अपनी बहनों को सुरक्षा और मदद देने का वादा करते हैं. आजकल, इस परंपरा में गिफ्ट्स देने की भी प्रथा शामिल हो गई है.
रक्षाबंधन की परंपराएं और मान्यताएं
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान इंद्र राक्षसों से लड़ने के लिए गए थे, उनकी पत्नी इंद्राणी ने उनकी कलाई पर एक धागा बांधा था, जो रक्षाबंधन का प्रारूप था. इस दिन को देशभर में राखी पूर्णिमा, राखी या राखरी के नाम से जाना जाता है.
नेपाल के पहाड़ी इलाकों में रक्षाबंधन के दौरान गुरु की कलाई पर भी राखी बांधने की परंपरा है. महाराष्ट्र में इसे नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, और यहां यह त्योहार कुछ विशेष परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जैसे जनेऊ बदलना और समुद्र की पूजा करना.
रक्षाबंधन का उत्सव विदेशों में
अब रक्षाबंधन सिर्फ भारत और नेपाल तक सीमित नहीं है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी बसे भारतीय इस त्योहार को मनाते हैं और इसकी खुशियां साझा करते हैं. इस प्रकार, रक्षाबंधन ने अपनी सीमाएं पार कर ली हैं और अब एक वैश्विक त्योहार बन चुका है.
रक्षाबंधन के धार्मिक और वैज्ञानिक पहलू
राखी की तरह कलावे भी दाहिने हाथ की कलाई पर बांधी जाती है. इसके पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक, और वैज्ञानिक कारण हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और भाई-बहन के रिश्ते में मजबूती आती है.
रक्षाबंधन का त्योहार न केवल भाई-बहन के रिश्ते को संजोता है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और भाईचारे का भी प्रतीक है. यह दिन हमें एक-दूसरे की सुरक्षा और समर्थन का वादा करने का अवसर प्रदान करता है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)