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Raksha Bandhan 2024: भाई को राखी बांधते समय जरूर बोलें ये मंत्र, चमक जाएगी फूटी किस्मत

Raksha Bandhan 2024: आज हम आपको बताएंगे कि अगर राखी बांधते समय बहनें इस मंत्र का उच्चारण करें तो भाई-बहन का रिश्ता और भी पवित्र हो जाता है.

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Sushma Pandey
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Raksha Bandhan 2024: सावन का पवित्र महीना खत्म होने पर है और सावन के आखिरी सोमवार को राखी का त्योहार मनाया जाने वाला है. हर जगह इस वक्त राखी की तैयारियां देखी जा सकती है. इस त्योहार का संबंध भाई-बहन के अटूट रिश्ते के साथ है. जहां बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधकर उसकी लंबी उम्रकी कामना करती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है. आज हम आपको बताएंगे कि अगर राखी बांधते समय बहनें इस मंत्र का उच्चारण करें तो भाई-बहन का रिश्ता और भी पवित्र हो जाता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या है वो मंत्र और इसके पीछे कौन सी धार्मिक कथा है. 

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राखी बांधते वक्त बोलें ये मंत्र 

हमारे शास्त्रों में मंत्रोच्चार का बहुत महत्व माना जाता है. मंत्रों में दैवीय शक्तियां होती हैं जो हमारे लिए रक्षाकवच की तरह काम करती है. इसलिए रक्षाबंधन के दिन भी अगर बहनें राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करे तो भाई की आयु लंबी होती है और बहन भाई के रिश्ते में मजबूती आती है. 

"येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्र महाबल: तेन त्वं काम्यनामि रक्षे माचल माचल:"

इस मंत्र का अर्थ है कि बहन अपने भाई को कहती है कि मैं तुम्हें राजा बलि की तरह ही रक्षासूत्र में बांध रही हूं, और तुम्हारे जीवन की सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी. 

जानें ये अद्भुत कहानी 

इस कहानी का संबंध राजा बलि के साथ है. उन्होंने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था. जिसके बाद वो सर्वशक्तिमान हो जाते.लेकिन देवताओं ने उनके यज्ञ को पूरा होने से रोकने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि से 3 पग जमीन मांगी और उन्होंने इसके लिए हां कर दिया. भगवान विष्णु ने एक पग में धरती माप ली और दूसरे पग में आकाश. लेकिन अब सवाल ये था कि तीसरा पग कैसे मापा जाए. 

लक्ष्मी ने बांधी राखी 

तीसरा पग के लिए राजा बलि ने अपना सिर भगवान विष्णु को दे दिया. जैसे ही उन्होंने अपना पैर बलि के सिर पर रखा, वह पाताल लोक में चला गया. बाद में विष्णु भगवान को राजा बलि की इच्छा अनुसार उनके साथ पाताल लोक में रहना पड़ा. बहुत देर तक जब विष्णु लक्ष्मी माता से दूर रहे तो उन्होंने एक साधारण स्त्री का रूप धारण कर पाताल लोक में जाना उचित समझा. वहां लक्ष्मी राजा बलि की बहन बन गई. श्रावण पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी ने बलि को रक्षासूत्र बांधा और तोहफे के तौर पर भगवान विष्णु को मांग लिया. राजा बलि ने भी अपना वादा निभाया. तब भगवान विष्णु ने भी कहा कि वह हर साल चातुर्मास के दौरान पाताल में निवास किया करेंगे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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