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Ram Navami 2024: इस दिन मनाया जायेगा भगवान राम का जन्मदिन, जानें सही डेट, पूजा विधि और महत्व

Ram Navami 2024: हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है. यह भगवान श्री राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भक्त भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनके आदर्शों का स्मरण करते हैं.

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Inna Khosla
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Ram Navami 2024

Ram Navami 2024( Photo Credit : social media)

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Ram Navami 2024: राम नवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान राम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है. यह त्योहार भारतीय समाज में उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है. राम नवमी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था. यह त्योहार विभिन्न प्रांतों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में यह त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.

राम नवमी 2024 तिथि और समय:

तिथि: 17 अप्रैल, 2024 (बुधवार)
नवमी तिथि प्रारंभ: 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 1:23 बजे से
नवमी तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 3:14 बजे तक
शुभ मुहूर्त:

मध्यान्ह मुहूर्त: सुबह 11:04 बजे से दोपहर 1:35 बजे तक (अवधि - 2 घंटे 31 मिनट)
पूजा विधि:

पूजा की तैयारी: राम नवमी के दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल की सफाई करें और एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाएं. इस पर भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें.

मूर्ति स्थापना और आवाहन: भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान और गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित करें. पुष्प, चंदन और जल से उनका आवाहन कर प्रार्थना करें.

षोडशोपचार पूजन (वैकल्पिक): आदर्श रूप से, भगवान कोषोडशोपचार पूजन अर्पित किया जाता है. इसमें स्नान, वस्त्र, आभूषण, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह उपचार शामिल होते हैं.

संक्षिप्त पूजा विधि: अपनी श्रद्धा के अनुसार आप निम्न तरीके से पूजा कर सकते हैं:

  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) अर्पित करें.
  • भगवान को नए वस्त्र और चंदन का टीका लगाएं.
  • विभिन्न प्रकार के पुष्प अर्पित करें.
  • धूप जलाएं और शुद्ध घी का दीप प्रज्वलित करें.

भोग और आरती: भगवान को भोग लगाएं. आरती की थाल तैयार कर फल, मिष्ठान, रोली और मौली रखें और श्रद्धापूर्वक आरती करें.

राम रक्षा स्त्रोत पाठ (वैकल्पिक): भगवान राम की कृपा प्राप्त करने के लिए राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करना शुभ माना जाता है.

हवन (वैकल्पिक): आप चाहें तो पूजा के उपरांत हवन भी कर सकते हैं. किसी विद्वान या पंडित की सहायता लें.

प्रसाद वितरण और व्रत का पारण: पूजा की पूर्णता के बाद प्रसाद का वितरण करें. आप प्रसाद ग्रहण करने से पहले भगवान का प्रसाद अपने ऊपर से घुमाकर ग्रहण कर सकते हैं. यदि आपने व्रत रखा है तो पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें.

 यह एक सामान्य मार्गदर्शिका है. आप अपने क्षेत्र के विद्वान या पंडित से सलाह लेकर विधि में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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