हिंदू धर्म (Hindu dharm) में पूजा, पाठ, व्रत रखने का विशेष महत्त्व है, माना जाता है कि, एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के पापों का नाश होता है. बता दें, पूरे साल में लगभग 24 एकादशी आती है. जिसमें रमा एकादशी (Rama ekadshi) का एक अलग महत्त्व है. रमा एकादशी (Rama ekadshi) एक ऐसा व्रत है. जो दिवाली के चार दिन पहले मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी है. ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी व्रत रखने से ब्रह्म हत्या के साथ-साथ सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. वहीं इस दिन भगवान विष्णु और रमा यानी की माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्त्व भी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर को एकादशी व्रत के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि इस दिन व्रत और पूजा अर्चना करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते हैं.
रमा एकादशी व्रत तिथि - (Rama Ekadshi date&time)
पंचाग के अनुसार, कार्तिक माह की रमा एकादशी (Rama ekadshi) 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 53 मिनट से शुरु होगा और अगले दिन यानी की 21 तारीख को शाम 5 बजकर 48 मिनट पर समापन होगा.. इस एकादशी में शुभ योग बन रहा है..जो शुभ कार्य के लिए उत्तम माना जाता है..
माना जाता है, इस दिन व्रत रखने से और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है...पूजा करने का शुभ समय 20 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 53 मिनट से शुरु होगा और अगले दिन यानी की 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा ...
रमा एकादशी व्रत पूजन विधि- (Rama Ekadshi pooja vidhi)
आपको बता दें, रमा एकादशी के दिन व्रत रखना विशेष माना जाता है, एकादशी के दिन कुछ नहीं खाना चाहिए, एकादशी के दिन जो लोग व्रत किसी कारण वश नहीं रख पाते हैं, उनको चावल और चावल से बना पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए.
एकादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें, और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें, पुष्प, फल ,धूप,अगरबत्ती और खास भोग के साथ तुलसी जरूर चढ़ाएं और विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत मंत्र का पाठ करें, और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं, उसके बाद आप स्वयं भोजन करें. इस दिन भगवत गीता पढ़ने का भी विशेष महत्त्व है.
रमा एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्त्व -(Rama Ekadshi vishesh mahatav)
रमा एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्त्व है. माना जाता है, इस दिन दान करने से आय में वृद्धि होती है, गरीबों को भोजन कराने से दरिद्रता नष्ट हो जाती है, और छोटे बच्चों को शिक्षा संबंधित भेंट देने से मां लक्ष्मी के साथ मां सरस्वती का भी आशिर्वाद प्राप्त होता है.
Source : News Nation Bureau