इस्लामिक समुदाय के लिए सबसे पवित्र माने जाने वाला रमजान का महीना आज यानी 23 अप्रैल से शुरू हो रहा है. ऐसे में अब हर रोज पूरे महीने रोजे रखे जाएंगे. इस महीने में रोजे रखने का बहुत अधिक महत्व होता है. 7 साल की उम्र से हर सेहतमंद मुसलमान रोजा (Roza) रखना शुरू करते हैं. वैसे ये पहली बार होगा जब रमजान लॉकडाउन के बीच पड़ा है. ऐसे में लोगों को लॉकडाउन के बीच ही रोजे रखने होंगे. वहीं लोग अब नमाज पढ़ने मस्जिद भी नहीं जा पाएंगे बल्कि उन्हें घर पर ही नमाज पढ़नी होगी. दरअसल कोरोना के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है. ऐसे में अब लोगों को ज्यादा सतर्क रहना होगा.
बता दें, रमजान के पूरे एक महीने तक मुस्लिम समुदाय (Musalman Community) के लोग रोजे रखते हैं. इस दौरान कुरान पढ़ते हैं. हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं.
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ये है रमजान महीने में सेहरी और इफ्तार का समय
Date Sehri Iftar
24 April 04:23 18:54
25 April 04:21 18:55
26 April 04:20 18:56
27 April 04:19 18:57
28 April 04:18 18:57
29 April 04:16 18:58
30 April 04:15 18:58
01 May 04:14 18:59
02 May 04:13 19:00
03 May 04:12 19:00
04 May 04:11 19:01
05 May 04:10 19:01
06 May 04:09 19:02
07 May 04:08 19:03
08 May 04:07 19:03
09 May 04:06 19:04
10 May 04:05 19:04
11 May 04:04 19:05
12 May 04:04 19:06
13 May 04:03 19:06
14 May 04:02 19:07
15 May 04:01 19:08
16 May 04:00 19:08
17 May 03:59 19:09
18 May 03:59 19:09
19 May 03:58 19:10
20 May 03:57 19:11
21 May 03:57 19:11
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रोजे के दौरान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का ही नियम नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोज़ा रखा जाता है यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाएं आहत न हों. बताया जा रहा है कि इस बार अगर इस बार अगर चांद का दीदार 23 अप्रैल को हो गया, तो 24 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे. लेकिन अगर चांद 24 अप्रैल को दिखा, तो 25 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे. इस्लाम में बताया गया है कि रोजे रखने से अल्लाह खुश होते हैं. सभी दुआएं कुबूल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं. इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है. सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है. सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है.
Source : News Nation Bureau