Ramadan 2024: इस्लाम धर्म में रोज़ा या व्रत का अत्यधिक महत्व है. रोज़ा मुसलमानों के लिए प्रत्येक साल के महीने रमज़ान में आयोजित किया जाता है, जो इस्लामी कैलेंडर के नवम महीने होता है. यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक परंपरा है जो मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है. रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने का मुख्य उद्देश्य अल्लाह के सामने तपस्या करना और अपने ध्यान को दिव्यता की ओर मोड़ना है. यह आत्म-नियंत्रण, ध्यान, संयम और दया का माहौल प्रदान करता है. रमज़ान में रोज़ा रखने से मनुष्य की आत्मा को शुद्धि, संयम और स्वाध्याय की अनुभूति होती है. इसके अतिरिक्त, रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने का महत्व यह भी है कि यह मुस्लिम समुदाय को आपसी भाईचारे, सामाजिक सहयोग और सद्भाव का संदेश देता है. यह समय है जब मुस्लिम समुदाय के सदस्य एक-दूसरे की मदद करते हैं, दान और चारित्रिक साझा करते हैं. सम्पूर्ण रूप से, इस्लामी धर्म में रोज़ा का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है और यह मुस्लिम समुदाय को एक और मज़बूत और संवेदनशील समृद्धि के मार्ग पर ले जाता है.
रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसे मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में, मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं. रोज़े के दौरान, मुसलमान धर्म के लोग इन नियमों का पालन करते हैं-
1. खाने-पीने से परहेज: सूर्योदय से सूर्यास्त तक खाने-पीने से पूरी तरह से परहेज करना होता है. इसमें पानी पीना भी शामिल है.
2. बुराई से परहेज: रोज़े के दौरान, मुसलमानों को झूठ बोलने, गाली-गलौज करने, गुस्सा करने और अन्य गलत कामों से परहेज करना होता है.
3. नमाज: रोज़े के दौरान, मुसलमानों को पांचों वक्त की नमाज अदा करनी होती है.
4. तरावीह: रमजान के दौरान, मुसलमानों को रात में तरावीह की नमाज भी अदा करनी होती है.
5. सहरी और इफ्तार: सूर्योदय से पहले सहरी का भोजन किया जाता है और सूर्यास्त के बाद इफ्तार का भोजन किया जाता है.
रोज़े के कुछ फायदे: रोज़े रखने से आत्म-संयम और अनुशासन बढ़ता है. रोज़े रखने से शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद मिलती है और यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. रोज़े रखने से आध्यात्मिकता बढ़ती है और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता की भावना बढ़ती है.
कुछ लोगों को रोज़े रखने से छूट दी जाती है, जिनमें शामिल हैं: बच्चे, बुजुर्ग, बीमार लोग, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, यात्रा करने वाले लोग. रोज़ा रखना एक व्यक्तिगत इच्छा है और यह सभी मुसलमानों के लिए अनिवार्य नहीं है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रोज़े के दौरान, मुसलमानों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और यदि उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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