रमजान का पाक महीना शुरू हो चुका है. सऊदी अरब में आज रमजान का पहला रोजा है. दरअसल 23 अप्रैल यानी कल चांद देखे जाने के बाद आज यानी 24 अप्रैल को सऊदी अरब में रमजान का पहला रोजा रखा गया है. लोगों ने आज सुबह उठकर सेहरी खाई है. वहीं पूरे दिन रोजा रखकर सूरज ढलने के बाद रोजा खोला जाएगा जिसे इफ्तार कहा जाता है. वहीं भारत में पहला रोजा कल याानी 25 अप्रैल से शुरू होगा. रमजान में रोजे रखने से मतलब सिर्फ खाने, पीने की चीजों से दूर रहना नहीं, बल्कि रोजा (Roza) रखने के बाद व्यक्ति को गलत कामों से भी बचना चाहिए. रोजे में व्यक्ति को न तो गलत बोलना चाहिए और न ही सुनना.
रोजे के दौरान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का ही नियम नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोज़ा रखा जाता है यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाएं आहत न हों. रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है. हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं. आइए, जानते हैं, कब से शुरू हो रहा है यह पावन महीना और क्यों यह त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण माह होता है.
इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक
इस बार अगर चांद का दीदार 23 अप्रैल को हो गया, तो 24 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे. लेकिन अगर चांद 24 अप्रैल को दिखा, तो 25 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे. इस्लाम में बताया गया है कि रोजे रखने से अल्लाह खुश होते हैं. सभी दुआएं कुबूल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं. इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है. सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है. सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है.
Source : News Nation Bureau