आज यानि की रविवार को रंभा तीज का व्रत है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रंभा तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. रंभा तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. मान्यताओं के मुताबिक, रंभा तीज का व्रत करने संतान सुख मिलता है. इसके साथ ही सौभाग्यऔर चिर यौवन का भी आशीर्वाद मिलता है. रंभा तीज व्रत को 'रंभा तृतीया' भी कहते हैं.
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रंभा तीज व्रत शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि का प्रारंभ- 12 जून शनिवार की रात में 08 बजकर 19 मिनट से
तृतीया तिथि समापन- 13 जून, रविवार की रात 09 बजकर 42 मिनट पर
रंभा तीज पूजा विधि
रंभा तीज के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें. इसके बाद मंदिर को साफ कर के माता पार्वती और शिव भगवान की मूर्ति स्थापित करें. व्रत और पूजा का संकल्प लें. सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. इसके बाद मां गौरी और भगवान शिव की अराधना करें. माता पार्वती को चंदन, हल्दी, अक्षत, फूल, मेहंदी और सुहाग का पूरा सामान चढ़ाएं. वहीं भगवान भोलेनाथ को चंदन, फूल और गुलाल अर्पित करें. वहीं ध्यान रहे कि पूजा पूर्व दिशा में मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठकर ही करें.
इस मंत्र का करें जाप
ह्रीं ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय पालय मनोवांछितं देहि रं ह्रीं ह्रीं.
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रंभा तीज व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय मे एक ब्राह्मण दंपति सुख पूर्वक जीवन यापन कर रहे होते हैं. वह दोनों ही श्री लक्ष्मी जी का पूजन किया करते थे. पर एक दिन ब्राह्मण को किसी कारण से नगर से बाहर जाना पड़ता है वह अपनी स्त्री को समझा कर अपने कार्य के लिए नगर से बाहर निकल पड़ता है. इधर ब्राह्मणी बहुत दुखी रहने लगती है पति के बहुत दिनों तक नहीं लौट आने के कारण वह बहुत शोक और निराशा में घिर जाती है.
एक रात्रि उसे स्वप्न आता है की उसके पति की दुर्घटना हो गयी है. वह स्वप्न से जाग कर विलाप करने लगती है. तभी उसका दुख सुन कर देवी लक्ष्मी एक वृद्ध स्त्री का भेष बना कर वहां आती हैं और उससे दुख का कारण पूछती है. ब्राह्मणी सारी बात उस वृद्ध स्त्री को बताती हैं.
तब वृद्ध स्त्री उसे ज्येष्ठ मास में आने वाली रंभा तीज का व्रत करने को कहती है. ब्राह्मणी उस स्त्री के कहे अनुसार रंभा तीज के दिन व्रत एवं पूजा करती है. व्रत के प्रभाव से उसका पति सकुशल घर लौट आता है. जिस प्रकार रंभा तीज के प्रभाव से ब्राह्मणी के सौभाग्य की रक्षा होती है, उसी प्रकार सभी के सुहाग की रक्षा हो.