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Ram Navmi 2023: रामनवमी पर जानें जयपुर के गलताजी का रहस्य, 5 शताब्दियों से यहां जल रही अखंड ज्योत

रामनवमी का त्योहार इस बार कुछ खास है. क्योंकि 700 वर्ष के बाद इस बार एक दो नहीं बल्कि 9 अद्भुत संयोग बने हैं.

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Dheeraj Sharma
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Galtaji Temple Mystry

Galtaji Temple In Jaipur( Photo Credit : News Nation)

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Ramnavmi 2023: रामनवमी का त्योहार इस बार कुछ खास है. क्योंकि 700 वर्ष के बाद इस बार एक दो नहीं बल्कि 9 अद्भुत संयोग बने हैं. सबसे खास यह है कि इस बार त्रेतायुग के दौरान आई तिथि और नक्षत्र साथ आए हैं. यानी जिस तिथि और नक्षत्र में प्रभु श्रीराम ने जन्म लिया था इस बार वहीं संयोग बना है. रामनवमी के इस अद्भुत संयोग के बीच आपको बताएंगे जयपुर में स्थित गलताजी का रहस्य. दरअसल गलता जी का प्रभु श्रीराम से गहरा नाता है. कहा जाता है कि, चार शताब्दी पहले यहां खुद तुलसीदास आए थे और उन्होंने यहां पर रामचरित मानस की नींव रखी. किस तरह राम वन में गए और भरत मिलाप किस तरह हुआ इन सभी प्रसंगों के बारे में यहीं पर लिखा गया है. यही नहीं जयपुर बनने से पहले ही गलता जी की स्थापना हो चुकी थी और करीब 5 सदियों से यहां एक अखंड ज्योत जल रही है. 

हनुमान का भी गलताजी से गहरा नाता
गलताजी को बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है दरअसल इस मंदिर से पवनपुत्र हनुमान का भी गहरा नाता है. यहां बड़ी संख्या में बंदर आपको देखने को मिल जाएंगे जो यहां आने वाले किसी भी इंसान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. हनुमान जी के आह्वान पर ही यहां अखंड ज्योत की स्थापना की गई थी. 

18वीं शताब्दी में हुई गलताजी की स्थापना
गलता जी की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई थी. अरावली की पहाड़ियों के बीच गलता जी के मंदिर की स्थापना की गई. दरअसल इसे गालव ऋषि की तपो भूमि भी कहा जाता है. मंदिर को रामानंदी संप्रदाय के लोगों ने बनवाया था. जब दिन निकलता है तो सूर्य की सबसे पहली किरण यहीं पड़ती है. इस मंदिर में ही तुलसीदास जी ने अयोध्याकांड भी लिखा. राम चरित मानस के प्रमुख प्रसंग लिखे गए इनमें प्रभु श्रीराम के  वनगमन से लेकर भरत मिलाप तक के प्रसंगों को लिखा गया. जानकार बताते हैं कि तुलसीदास जी ने यहां पूरे तीन वर्ष बिताए और इसी दौरान अयोध्याकांड लिखा. 

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बलुआ पत्थर से किया गया गलता जी का निर्माण
गलता जी का निर्माण 400 वर्ष पूर्व बलुआ पत्थरों से किया गया था. इन पत्थरों का रंग गुलाबी है. यही वजह है झरनों से घिरा होने के साथ-साथ गुलाबी पत्थरों से निर्माण के बाद ये मंदिर दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. इस मंदिर के निर्माण में वास्तुकला का भी ध्यान रखा गया है. मंदिर दिखने में किसी महल की तरह दिखाई देता है. मंदिर निर्माण का काम जय सिंह द्वितीय के दरबार में दरबारी रहे दीवान राव कृपाराम ने करवाया था. वे रामानंदी संप्रदाय के थे. 

क्या-क्या है गलतजी में खास
गलता जी मंदिर में मंदिर के अलावा, अखंड ज्योत, पवित्र कुंड, मंडप, प्राकृतिक झरने के साथ-साथ कई औषधियां पाई जाती हैं. धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ इस स्थान का औषधियां महत्व भी माना जाता है. 

गालव संत की तपस्या से खुश होकर प्रकट हुए भगवान
बताया जाता है कि, संत गालव ने यहां करीब 100 वर्ष तक प्रभु श्रीराम की खूब तपस्या की. उन्होंने अपना पूरा जीवन ही इसमें बिता दिया और वहीं लीन हो गए थे. हालांकि उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान खुद वहां प्रकट हुए और संत गालव को आशीर्वाद दिया था. 

कृष्णरूप में राम
इस मंदिर की एक और खासियत है यहां राम के दर्शन कृष्ण रूप में होते हैं. दरअसल यहां राम के हाथ धनुष के साथ-साथ बांसुरी में दिखाई देती है. यानी भक्तों को एक ही अवतार में दोनों स्वरूपों के दर्शन होते हैं. दुनिया में ऐसी प्रतिमा गलताजी मंदिर के अलावा और किसी भी मंदिर में नहीं है. 

अश्वेमघ यज्ञ में रखी गई सीता की स्वर्ण प्रतिमा भी यहां मौजूद
गलताजी में जहां एक और कृष्ण रूप में राम विराजित हैं तो उनके साथ में सीता के रूप में रखी गई स्वर्ण प्रतिमा का भी अपना इतिहास है. जानकार बताते हैं कि ये वहीं प्रतिमा है जिसे सतयुग में अश्वमेघ यज्ञ के दौरान प्रभु श्रीराम ने अपने साथ रखा था. 

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शीलाजीत समेत कई औषधियों की खान
इस मंदिर के अरावलडी पर्वत पर बसे होने की वजह से यहां आस-पास जड़ीबूटियों की भी खजाना पाया जाता है. खास तौर पर पर्वत की चट्टानों के बीच से शीलाजीत बहती रहती है. दरअसल शीलाजीत का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई दवाइयों में किया जाता है. इसे सेहत के लिए लिहाज से भी अच्छा माना जाता है. इसके अलावा यहां पर और भी कई औषधियां जैसे- शतावरी, चीरमी, नीम, वज्रदंती, गंधारी, कालीजारी और सालर प्रमुख रूप से पाई जाती हैं. 

पाताल लोक से भी नाता
कहा जाता है कि गलता जी में एक पयोहारी गुफा भी है. ये गुफा ऋषि पयोहारी के नाम पर ही है. यहां पर पयोहारी ऋषि तपस्या करते थे. हालांकि इस गुफा में जो भी गया वो दोबारा लौटकर नहीं आया है. यही नहीं ये भी कहा जाता है कि इस पयोहारी गुफा का रास्ता सीधा पाताल लोक को जाता है. लोगों को गुम होने के बाद इस गुफा को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है.

HIGHLIGHTS

  • अद्भुत है गलताजी का इतिहास
  • 4 शताब्दी पहले तुलसीदास ने यहीं लिखा था अयोध्याकांड
  • पयोहारी गुफा से निकलता है पाताल लोक का रास्ता
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