Rangbhari Ekadashi Upay 2023 : सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. ये बेहद शुभ औ फलदायी मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा करने का विशेष महत्व है. ये एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है. जिसे रंगभरी और आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और उनके गण होली खेलते हैं. इस दिन कुछ उपायों को करने के बारे में बताया गया है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में रंगभरी एकदाशी के दिन कुछ को करने के बारे में बताएंगे, जिससे आपकी आर्थिक तंगी की समस्या दूर हो जाएगी.
रंगभरी या आमलकी एकादशी के दिन करें ये उपाय
1.रंगभरी एकदाशी के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर उन्हें और मां पार्वती को गुलाल अर्पित करें, इससे अगर आपके वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी आ रही होगी, तो वह दूर हो जाएगी.
2.इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं और सफेद चंदन, बेलपत्र भी अर्पित करें. इससे आर्थिक स्थिति में पहले से सुधार होगा.
3.रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ जरूर करें और साथ ही इस दिन आंवला भगवान को जरूर चढ़ाएं. इससे जातक को कर्ज से जल्द मुक्ति मिलती है.
4.इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद नौ बार परिक्रमा जरूर करें और गुलाल अर्पित करें. इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
5.इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए संध्या के समय भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के सामने नौ बत्ती का दीपक जलाएं और उसमें एक केसर डालें. इससे धन वृद्धि होगी.
इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा के बाद करें ये आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।