प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कुछ टाइम पहले ही काशी विश्वनाथ धाम (kashi vishwanath corridor) का लोकार्पण किया था. कमाल की बात ये है कि इस धाम का नाता '13' अंक से कुछ गहरा है. वो ऐसे कि प्रधानमंत्री द्वारा इसका लोकार्पण 13 दिसंबर को किया गया था. संयोग की बात ये है कि ये अंक इस धाम (kashi vishwanath mandir) के निर्माण के विशेष चरणों से जुड़ता चला गया. दरवाजों के बनने से लेकर उनकी असेंबलिंग भी 13 (corridor relation with 13 number ) के आस-पास ही घूमती रही.
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आपको बता दें कि विश्वनाथ धाम (kashi vishwanath temple) के मुख्य आंगन में चार दरवाजें (vishwanath dham corridor) लगे हुए है. जिनका कुल वजन 13 टन है. इन दरवाजों को बनारस से 1300 किलोमीटर दूर राजस्थान के जालोर के रामसीन गाव में बनाया गया है. चारों दरवाजे 13-13 पार्ट्स में तैयार हुए है. जालोर से बनारस लाने के लिए इन्हें 13 ट्रक पर लादकर लाया गया था.
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इतना ही नहीं, राजस्थानी आर्टिस्ट कालूराम सुथार की देखरेख में इन दरवाजों (vishwanath dham corridor) को तैयार किया गया है. जो कि 23 फीट ऊंचे और 16 फीट चौड़े थे. इन्हें बनाने के लिए 13 आदमी और 13 महिलाओं की मेहनत लगी थी. जिन्होंने इन्हें 1350 घंटों में मेहनत से तैयार किया. पीएसपी के सूत्रों के अनुसार मुख्य आंगन में इस धाम को बना रही कार्यदायी संस्था ने बताया कि दरवाजों (kashi vishwanath temple corridor) के पत्थर, लकड़ी और पीतल के साथ इनका कुल वजन 13 टन है. जालोर के ये दरवाजे 13 नवंबर को ही बनारस पहुंचे थे. इतनी बार 13 अंक सुनकर कोई भी कह देगा कि इस धाम का 13 अंक से गहरा नाता है. किसी बड़े किले के दरवाजे जैसा अनुभव कराने वाले दरवाजों को 13 एक्सपर्ट शिल्पकार की टीम ने बारी-बारी से असेंबल किया. कंपनी ने पहले चार दरवाजों का ऑर्डर दिया था. उनकी सुंदरता देखने के बाद दो और दरवाजों के ऑर्डर दिए गए. इन दोनों दरवाजों में से एक मंदिर चौक में गंगा की ओर जाने के लिए लगाया जा चुका है. दूसरा दरवाजा इन दिनों ललिता घाट पर असेंबल किया जा रहा है.